नई दिल्ली, इशरत जहां मामले से संबंधित लापता फाइलों की जांच कर रहे एक सदस्यीय जांच आयोग ने कहा है कि सितंबर 2009 में कागजात जाने या अनजाने में हटाये गये या खो गये। इस दौरान कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे। गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बीके प्रसाद ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय से गुम हो गये इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले से संबंधित पांच दस्तावेजों में से केवल एक कागज मिला है। जांच समिति ने कहा है, जाहिर है कि दस्तावेज जानबूझकर या अनजाने में हटाये गये या खो गये। हालांकि जांच आयोग ने रिपोर्ट में चिदंबरम या तत्कालीन संप्रग सरकार के किसी अन्य व्यक्ति का कोई उल्लेख नहीं किया है। कांग्रेस नेता चिदंबरम उस समय गृहमंत्री थे। तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लै समेत 11 सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के बयानों पर आधारित 52 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेज 18 से 28 सितंबर, 2009 के बीच लापता हो गये। इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय में 29 सितंबर, 2009 को दूसरा हलफनामा दाखिल किया गया जो पहले से अलग था। इसमें कहा गया था कि इस बात के निर्णायक सबूत नहीं हैं कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी। जो दस्तावेज गुम हुए हैं उनमें 18 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा अटार्नी जनरल को भेजे गये पत्र की कार्यालयीन प्रति और अनुलग्नक, 23 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा एजी को भेजे गये पत्र की कार्यालयीन प्रति, मसौदा जो बाद में हलफनामा बना जिसे एजी ने सत्यापित किया, मसौदा जो बाद में हलफनामा बना जिसे बाद में तत्कालीन गृह मंत्री ने 24 सितंबर, 2009 को संशोधित किया और 29 सितंबर, 2009 को गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे की कार्यालयीन प्रति शामिल हैं। कंप्यूटर की एक हार्डडिस्क से प्राप्त कागजात 18 सितंबर, 2009 को तत्कालीन गृह सचिव द्वारा एजी को भेजा गया पत्र था। अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मारे गये थे। गुजरात पुलिस ने तब कहा था कि मुठभेड़ में मारे गये लोग लश्कर के आतंकवादी थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने के लिए गुजरात में आये थे।