रायपुर, छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी एलेक्स पॉल मेनन ने सोशल मीडिया फेसबुक पर विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों में आ गए। फेसबुक पर देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, क्या भारत की न्यायिक व्यवस्था पक्षपातपूर्ण है 94 प्रतिशत फांसी मुस्लिमों और दलितों को दी जाती है। मेनन के पोस्ट ने सोशल मीडिया में एक बहस को जन्म दे दिया है। गौरतलब है कि मेनन साल 2012 में सुकमा जिले के कलेक्टर रहने के दौरान नक्सलियों के हाथों अपहरण होने को लेकर पहले भी चर्चा में रहे हैं। सुकमा जिले के कलेक्टर रहने के दौरान 21 अप्रैल 2012 को नक्सलियों ने मेनन का अपहरण कर लिया था। नक्सलियों ने उनकी रिहाई के बदले में कई मांगें रखी थीं। बाद में सरकार की ओर से और नक्सलियों की ओर से दो-दो मध्यस्थों की नियुक्ति की गई थी। मध्यस्थों के बीच हुई लंबी चर्चाओं के बाद नक्सलियों ने मेनन की रिहाई के लिए हामी भरी थी। मेनन 12 दिन तक नक्सलियों के कब्जे में रहे थे। 03 मई 2012 को एक मध्यस्थ की मदद से उनकी रिहाई हो सकी थी। इसके अलावा उन पर नक्सलियों से सांठगांठ के कई आरोप भी लगे थे।