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गोरखपुर दंगे मामले में, सीएम योगी पर संकट के बादल…

इलाहाबाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2007 में गोरखपुर के दंगे के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूराे  से जांच कराने एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई है। न्यायालय याचिका पर सुनवाई नौ अक्टूबर को करेगा।

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दाखिल याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मेयर गोरखपुर अंजू चौधरी, विधायक राधामोहन दास अग्रवाल, सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला और पूर्व एमएलसी डाण्वाईण्डी ण्सिंह को पक्षकार बनाने की मांग की। अदालत ने इस अर्जी पर राज्य सरकार को दो सप्ताह में आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है।

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न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी तथा न्यायमूर्ति एण्सीण्शर्मा की खण्डपीठ ने परवेज परवाज की याचिका पर आज यह आदेश दिया। याची अधिवक्ता एसएफएण्नकवी का कहना है कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री और अन्य पर अभियोग चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है जिसे याचिका में चुनौती दी गयी है। आरोपियों को पक्षकार बनाये बगैर याचिका में आदेश जारी नहीं किया जा सकता है, इसलिए इन्हें याचिका में पक्षकार बनाया जाए।

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महाधिवक्ता ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि लम्बे समय से जारी बहस के बीच अर्जी दाखिल कर पक्षकार बनाने की मांग उचित नहीं है। न्यायालय ने पक्षकार बनाने की अर्जी पर राज्य सरकार को आपत्ति दाखिल करने का दो सप्ताह का समय दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।

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गौरतलब है कि राज्य सरकार ने तीन मई को पारित आदेश में आरोपी योगी आदित्यनाथ समेत अन्य पर धारा 153, 295 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। न्यायालय इस बिंदु पर भी सुनवाई कर रहा है कि क्या सरकार का यह आदेश वैध है। पिछली सुनवाई पर यह प्रश्न उठा था कि याचिका में सभी पांचों आरोपियों को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए, इसलिये आज याचिकाकर्ता की ओर से सभी पांचो आरोपियों को भी याचिका में पक्षकार बनाने के लिए संशोधन प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। जिस पर सरकार की ओर से आपत्ति दाखिल करने के लिए महाधिवक्ता ने दो सप्ताह का समय मांगा।

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