भीम आर्मी संस्थापक ने रासुका को दी चुनौती, हाईकोर्ट ने बहस के बाद फैसला….?
April 27, 2018
इलाहाबाद, भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण ने हाई कोर्ट से सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद भी जेल से रिहाई नही मिलने और जिला प्रशासन द्वारा रासुका में निरुद्ध कर देने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दाखिल याचिका पर जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस डीके सिंह की खण्डपीठ ने बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
5 मई 2017 को सहारनपुर में महाराणा प्रताप जयंती के कार्यक्रम के जुलूस को लेकर राजपूतों और दलित समाज मे संघर्ष हुआ. जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुए संघर्ष में सुमित नामक युवक की मौत हो गई थी. घटना के विरोध में 9 मई 2017 को भारत एकता मिशन के नेतृत्व में महापंचायत बुलायी गई , जिसकी अनुमति न दिए जाने पर आक्रोशित लोगों ने पथराव किया और रामनगर चौकी को भी आग के हवाले कर दिया. इस मामले में भीम आर्मी संस्थापक पर मुकदमा दर्ज कराया गया.
चंद्रशेखर उर्फ रावण द्वारा दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर की थी। कोर्ट ने जातीय हिंसा से जुड़े 4 मामलों में भीम आर्मी चीफ और डिप्टी चीफ सहित 4 लोगों को जमानत देते हुये चन्द्रशेखर और कमल की गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताया था. लेकिन हाई कोर्ट से सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद भी जेल से रिहाई नही मिली। चंद्रशेखर उर्फ रावण को प्रशासन ने रासुका में निरुद्ध कर दिया.
भीम आर्मी संस्थापक ने अपने उपर रासुका लगाये जाने के डीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी और दाखिल याचिका पर जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस डीके सिंह की खण्डपीठ ने बहस पूरी होने के बाद अब फैसला सुरक्षित रख लिया है.