2017 में 65 प्रतिशत लोगों ने डिजिटल समाचारों का लुत्फ उठाया- सूचना एव प्रसारण मंत्री
April 28, 2018
नयी दिल्ली , केंद्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में डिजिटल माध्यम के जरिए 65 प्रतिशत तक लोगों को समाचार का लुफ्त उठाया है। जो कि अन्य माध्यमों से बेहद ज्यादा है।
स्मृति ईरानी ने नए दौर की पत्रकारिता के डिजिटल आयाम पर जोर देते हुए कहा कि आज के समय में डिजिटल मीडिया तेजी से ग्रोथ कर रहा है। युवा पत्रकार इस नए माध्यम में विशेष सहभागिता निभाएं। उन्होंने कहा कि 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में डिजिटल माध्यम के जरिए 65 प्रतिशत तक लोगों को समाचार का लुफ्त उठाया है। जो कि अन्य माध्यमों से बेहद ज्यादा है।
केंद्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि अब समय बदल गया है। पहले खबरों को लेकर अंतिम फैसला संपादक करते थे जबकि अब उपभोक्ता भी इसका फैसला करता है और सूचना के स्रोत की भी जानकारी मांगता है। खबरों की विश्वसनीयता पर जोर देते हुए केंद्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्री ने कहा कि यह डाटा विस्फोट का युग है और सूचना को लेकर लोग गूगल काे खंगालते हैं इसलिए सूचना की विश्वसनीयता अहम है।
स्मृति ईरानी ने विकास से जुड़ी पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए 25 हजार रूपये की दीनदयाल उपाध्याय छात्रवृत्ति शुरू किये जाने की आज घोषणा की । स्मृति ईरानी ने भारतीय जनसंचार संस्थान के विकास पत्रकारिता पाठ्यक्रम के 69वें समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह घोषणा की । केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर 16 देशों के विकास पत्रकारिता के 25 विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दिये । उन्होंने आईआईएमसी परिसर में नेशनल मीडिया फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर का उद्घाटन भी किया ।
स्मृति ईरानी ने अपने संबोधन मे विकास से जुड़ी पत्रकारिता पर और ध्यान देने की जरूरत बतायी । उन्होंंने कहा कि हमें जमीनी स्तर पर संचार विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। औसत भारतीय चौबीस घंटे में से 200 मिनट मोबाइल ऐप पर लगाता है तथा 65 प्रतिशत वीडियो ग्रामीण क्षेत्र में देखे जाते है तथा इसमें और वृद्धि की संभावना है। इन स्थितियों में मीडिया और मनोरंजन उद्योग को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वे उपभोक्ताओं को क्या दे सकते है।
आईआईएमसी के महानिदेशक के जी सुरेश ने इस मौके पर कहा कि संस्थान में अब तक 127 देशों के विद्यार्थियों को विकास से जुड़ी पत्रकारिता में प्रशिक्षित किया जा चुका है जिससे इस पाठ्यक्रम के महत्व का पता लगता है। उन्होंने कहा कि आईआईएमसी एशिया की सबसे पुरानी शोध इकाई है और इसे संचार के हब एवं थिंक टैक के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास की पत्रकारिता दक्षिण-दक्षिण एशिया के बीच परस्पर सहयोग की प्रतीक है। इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने वाले पत्रकार भारत के दूत है।