नयी दिल्ली, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा एवं सेवाओं के नियमन और मानकीकरण के लिए ‘‘सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक 2018’’ को मंजूरी प्रदान कर दी ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरूवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त विधेयक को मंजूरी दी गई । इस विधेयक में एक भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद और संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है, जो सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशों के लिए एक मानक निर्धारक और सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाएंगी। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसके तहत एक केन्द्रीय एवं संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों का गठन किया जाएगा जिसमें सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विषयों में 53 पेशों सहित 15 प्रमुख प्रोफेशनल श्रेणियां होंगी।
विधेयक में केन्द्रीय परिषद और राज्य परिषदों की संरचना, गठन, स्वरूप एवं कार्यकलापों का उल्लेख किया गया है । इनमें नीतियां एवं मानक तैयार करना, प्रोफेशनल आचरण का नियमन, लाइव रजिस्टरों का सृजन एवं रखरखाव, कॉमन एंट्री एवं एक्जिट परीक्षाओं के लिए प्रावधान इत्यादि शामिल हैं । केन्द्रीय परिषद में 47 सदस्य होंगे जिनमें से 14 सदस्य पदेन होंगे जो विविध एवं संबंधित भूमिकाओं और कार्यकलापों का प्रतिनिधित्व करेंगे । इसके अलावा 33 सदस्य गैर-पदेन होंगे जो मुख्यत: 15 पेशेवर श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। राज्य परिषदों की परिकल्पना केन्द्रीय परिषद को प्रतिबिंबित करने के रूप में भी की गई है,
राज्य परिषद सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को मान्यता देने का कार्य करेगी। कदाचार की रोकथाम के लिए विधेयक में अपराधों एवं जुर्माने से जुड़े अनुच्छेद को शामिल किया गया है। विधेयक के तहत केन्द्र एवं राज्य सरकारों को भी नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। नियम -कायदे बनाने और कोई अनुसूची जोड़ने अथवा किसी अनुसूची में संशोधन करने के लिए केन्द्र सरकार को भी परिषद को निर्देश देने का अधिकार दिया गया है। अधिनियम पारित होने के 6 माह के भीतर एक अंतरिम परिषद का गठन किया जाएगा, जो केन्द्रीय परिषद का गठन होने तक दो वर्षों की अवधि के लिए प्रभार संभालेगी। केन्द्र एवं राज्यों में परिषद का गठन कॉरपोरेट निकाय के रूप में किया जाएगा जिसके तहत विभिन्न स्रोतों से धनराशि प्राप्त करने का प्रावधान होगा।
आवश्यकता पड़ने पर परिषदों की सहायता क्रमश: केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा भी अनुदान सहायता के जरिए की जाएगी। हालांकि, यदि राज्य सरकार असमर्थता जताती है तो वैसी स्थिति में केन्द्र सरकार आरंभिक वर्षों के लिए राज्य परिषद को कुछ अनुदान जारी कर सकती है।
परिषद के गठन की तिथि से लेकर अगले कुछ वर्षों के दौरान सभी मौजूदा सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल इससे जुड़ेंगे । आयुष्मान भारत के विजन के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली विविध स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो पाएंगी, जिससे ‘डॉक्टर आधारित’ मॉडल के बजाय ‘सुगम्य सेवा एवं टीम आधारित’ मॉडल की ओर अग्रसर होना संभव हो पाएगा।