चंद्रयान-2, इसरो के इतिहास के सर्वाधिक जटिल मिशनों में एक
July 13, 2019
नयी दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष के0 कस्तूरीरंगन ने चंद्रमा पर भारत का दूसरा अभियान चंद्रयान-2 को इसरो के इतिहास में सबसे जटिल मिशन में एक करार दिया है। डॉ0 कस्तूरीरंगन ने एक वीडियो संदेश में कहा, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इसरो अपनी शुरुआत से अब तक के सबसे जटिल मिशन में से एक चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर रहा है।
इसमें चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर भेजने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जो चंद्रमा का चक्कर लगायेगा। इसके बाद इसमें एक हिस्से यानी लैंडर को अलग कर चंद्रमा की सतह पर उतारा जायेगा। अंतत लैंडर से एक रोवर निकलकर लैंडिंग वाली जगह के आसपास घूमकर स्वयं चंद्रमा की भूगर्भशास्त्रीय तथा चंद अन्य विशेषताओं की जानकारी जुटायेगा।
इसरो के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर शनिवार जारी इस संदेश में डॉ0 कस्तूरीरंगन ने कहा कि अभी तत्काल लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि मिशन पूरी तरह सफल रहे और इसकी लॉन्चिंग तथा ऑपरेशन सफल रहें। उन्होंने इसरो को इसके लिए शुभकामनायें दी हैं। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे होनी है। प्रक्षेपण का रिहर्सल शुक्रवार को पूरा हो चुका है।
इसकी उल्टी गिनती रविवार शाम 6.51 बजे शुरू होगी। आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एमके-3 प्रक्षेपणयान के जरिये इसे प्रक्षेपित किया जायेगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की बनावट, वहाँ की जमीन, उसमें मौजूद खनिजों तथा रसायनों का अध्ययन करना है। मिशन के तहत यह भी पता लगाने की कोशिश की जायेगी कि चंद्रमा पर पानी किस मात्रा में मौजूद है।
चंद्रयान-1 ने पृथ्वी के इस उपग्रह पर पानी की खोज की थी। इसरो ने आज एक ट्वीट में कहा, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच हममें से अधिकतर लोग जितना सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा समानतायें हैं। इन समानताओं के अध्ययन से हम धरती को बेहतर समझ सकेंगे। हम चंद्रयान-2 के जरिये यह करने की उम्मीद रखते हैं।