वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में, क्यों यादव ही सबसे पहले करतें हैं गर्भ गृह मे जलाभिषेक ?
July 23, 2019
वाराणसी, उत्तर प्रदेश की धार्मिेक नगरी वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार को ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे के बीच हजारों यदुवंशियों ने सामुहिक रुप से जलाभिषेक कर भगवान शिव को खुश करने की पौराणिक परंपरा का निर्वहन किया।
यदुवंशियों ने पौराणिक मान्यता के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह में जलाभिषेक किया। यादव बंधुओं ने गागर में गंगा जल लेकर श्री गौरी केदारेश्वर, तिल भांडेश्वर महादेव, अहिलेश्वर महादेव, महामृत्युंजय महादेव, ढूंढी राज गणेश, ओम कालेश्वर महा देव, लाट भैरव, सारंगनाथ महादेव पर भी पर भी जलाभिषेक कर पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना की।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर एवं अन्य मंदिरों में जलाभिषेक के दौरान प्रशासन की ओर से सुरक्षा एवं यातायात के विशेष इंतजाम किये गए थे।मंदिर प्रशासन पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में यदुवंशियों ने जलाभिषेक के दौरान आम श्रद्धालुओं के मंदिर परिसर में प्रवेश पर आंशिक रोक लगा दी थी। इस बार अन्य श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के गर्भगृह में जाकर जलाभिषेक एवं पूजा करने की व्यवस्था नहीं है। उनके लिए बाहर ही प्रशासन ने इंतजाम किया है।
चंद्रवंशी गोप सेवा समिति ने बताया कि यह 87 साल पुरानी है। यादव समाज के लोग ध्वज लेकर मंदिर के गर्भगृह में जलाभिषेक करतें हैं। यदुवंशियों की जलाभिषेक यात्रा केदराघाट से जल लेकर गौरी केदारेश्वर के अभिषेक से शुरू होती है। रास्ते में तिलभांडेशव के अभिषेक के बाद मानमंदिर घाट से जल लेकर यदुवंशी डेढ़सीपुल के पारंपरिक मार्ग से विश्वनाथ मंदिर जाते हैं। यहां से निकलकर ललिता घाट से जल लेकर पुन: विश्राम के लिए ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गोरी आते हैं। बचा हुआ जल महामृत्यंजय को अर्पित कर पुन: जल लेने गायघाट जाते हैं। वहां से उठाया हुआ जल त्रिलोचन महोव, ओंकालेश्वर महादेव, लाट भैरव और सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव को चढ़ा कर यात्रा पूरी होती है।