नई दिल्ली, क्या आप यकीन करेंगे कि आने वाले वक्त में जानवर की कोख से इंसान पैदा ले सकेगा. जी हां ये मुमकिन है और जापान इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया से छेड़छाड़ ठीक नहीं है और इसकी आशंका कई वैज्ञानिकों ने भी जताई थी. जिसके बाद जानवर की कोख से इंसान के पैदा लेने के प्रोजेक्ट रोक दिए गए थे. लेकिन जापान ने पिछले दिनों अपने वैज्ञानिकों को इसकी अनुमति दे दी है.
जापान के साइंटिस्ट एक बार फिर से कुदरती प्रक्रिया को चुनौती देते हुए जानवर की कोख से इंसान के जन्म लेने के प्रोजेक्ट पर जुट गए हैं. ये साइंस का सबसे बड़ा कारनामा बनने जा रहा है. जापान शुरुआती तौर पर इस प्रोजेक्ट के तहत जानवर के गर्भाशय से मानव अंग उगाने वाला है. जापान ने हाल ही में स्टेम सेल रिसर्च को अनुमति दे दी है. जिसके बाद मानव और जानवर के हाइब्रिड को गर्भाशय में उगाने का काम शुरू हो गया है. कई चरणों में इस प्रोजक्ट को पूरा किया जाएगा. जापान के साइंटिस्ट ने इसका खाका भी तैयार कर लिया है, कि कैसे इस प्रोजेक्ट को अंजाम देना है.
शुरुआती तौर पर इसमें चूहे के गर्भाशय में ह्यूमन सेल्स डेवलप किए जाएंगे. इसके बाद के चरण में जानवर की कोख में सेरोगेसी की संभावना देखी जाएगी. यानी इंसान के भ्रूण को जानवर के गर्भाशय में डेवलप करने की प्रक्रिया पर काम किया जाएगा. सेरोगेसी बड़ी ही कॉमन प्रक्रिया है. इसमें अगर किसी महिला को गर्भाशय का संक्रमण होता है. उसे बार-बार गर्भपात होता है तो ऐसे मामलों में किसी दूसरी महिला के गर्भाशय में मानव भ्रूण को विकसित किया जाता है. इसकी प्रक्रिया बड़ी नॉर्मल होती है और ऐसे कई मशहूर सेलिब्रेटी हुए हैं, जिन्होंने इस विधि से संतान हासिल की है.
इस विधि में माता-पिता के शुक्राणु का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सेरोगेट मदर (किराए की कोख वाली महिला) के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में बच्चे का जेनेटिक संबंध माता-पिता से ही होता है, बस भ्रूण का विकास और उसका जन्म किराए की कोख वाली महिला के जरिए होता है. इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए अब मानव भ्रूण का विकास किसी जानवर के गर्भाशय में करने की तैयारी चल रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो में इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है.
जापान के मशहूर जेनेटिसिस्ट हिरोमित्सू नकॉची ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है. पहले पहल जानवर के गर्भाशय में मानव अंगों को उगाने की प्रक्रिया पर काम होगा, जिसे किसी जरूरतमंद इंसान को प्रत्यारोपित किया जा सके. इस प्रोजेक्ट में सबसे खतरनाक बात ये है कि ये इसका अगला चरण अपने मकसद से भटक सकता है. अगर ये प्रोजेक्ट कामयाब हो गया तो फिर संभव है कि आने वाले वक्त में एक ऐसा जीव अस्तित्व में आ जाए जो आधा इंसान और आधा जानवर हो.
इसी खतरे को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने इस तरह के प्रोजेक्ट रोक दिए. ऐसे प्रोजेक्ट को आर्थिक सहायता देनी बंद कर दी. जापान में भी इस तरह के प्रयोग में सिर्फ 14 दिन का एक्सपेरिमेंट करके इसे रोक दिया गया. लेकिन इसी साल मार्च में जापान ने इस तरह के प्रयोग को अनुमति दे दी. एजुकेशन और साइंस मिनिस्ट्री ने इस बारे में गाइडलाइंस जारी की है.