नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय की ओर से किये गये जुर्माने का सांकेतिक विरोध करने के लिए एक वकील ने अनोखी पहल की और 100 रुपये के जुर्माने की भरपाई 50-50 के 200 सिक्कों के साथ की है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा लॉकडाउन के दौरान याचिकाओं को सूचीबद्ध करने में वकीलों का चेहरा देखकर तरजीह दिये जाने की शिकायत करने वाले वकील रीपक कंसल ने 100 रुपये के जुर्माने की रकम गुरुवार को रजिस्ट्री करा दी, लेकिन सबसे दिलचस्प यह है कि उन्होंने ये रुपये कागज के नोट देकर नहीं, बल्कि 50-50 पैसों के दो सौ सिक्के इधर-उधर से एकत्रित करके चुकाये।
चूंकि 50 पैसों के सिक्के चलन से लगभग बाहर हो चुके हैं और बाजार में ये स्वीकार नहीं जा रहे हैं, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के रिकॉर्ड में 50 के सिक्कों का चलन बंद नहीं है। ऐसी स्थिति में कानूनी तौर पर 50 पैसों के सिक्कों को स्वीकार करना रजिस्ट्री की मजबूरी है।
श्री कंसल ने ये सिक्के कई वकील साथियों की मदद से यहां-वहां से जुटाए थे। यह वकीलों का एक सांकेतिक विरोध है। दरअसल श्री कंसल ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री पर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्री बड़े वकीलों एवं प्रभावशाली लोगों के मामलों को बेधड़क सूचीबद्ध करती थी
याचिका में मांग की गई थी कि सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करने में ‘पिक एंड चूज’ की नीति न अपनायी जाये और रजिस्ट्री को निष्पक्षता और समान व्यवहार के निर्देश दिए जाएं। इस याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने श्री कंसल पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया था।