मोदी सरकार की नीति, प्रगति, भीम के बाद अब मिलिए श्रीमान से….
July 15, 2018
नयी दिल्ली, नीति, प्रगति , भीम के बाद मोदी सरकार अब श्रीमान को लाये है. नीति आयोग, प्रगति प्लेटफार्म, भीम एप जैसी पहल को आगे बढ़ाते हुए अब केंद्र सरकार ने प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक उपकरणों के रखरखाव, खरीद प्रक्रिया एवं आधारभूत ढांचे की दक्षता को बेहतर बनाने के लिये ‘‘साइंटिफिक रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर मेंटेनेन्स ऑफ नेटवर्क’’ श्रीमान नीति का मसौदा तैयार किया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया की वैज्ञानिक शोध आधारभूत ढांचे का रखरखाव एवं नेटवर्क श्रीमान की मसौदा नीति पर 3 अगस्त 2018 तक राय/टिप्पणी आमंत्रित की गई है। मसौदा नीति में कहा गया है कि शोध आधारभूत ढांचे के प्रभावी इस्तेमाल के लिये यह जरूरी है कि भारत में वैज्ञानिक शोध आधारभूत ढांचे के रखरखाव एवं नेटवर्क को अपनाया जाए । यह आवश्यक है क्योंकि सामरिक क्षेत्रों में वैज्ञानिक शोध की जरूरत वर्तमान स्थिति से अलग है।
श्रीमान के मसौदे में शोध आधारभूत ढांचे से जुड़े कई अवयवों को रखा गया है। इसमें शोध के लिये उपकरण एवं आधारभूत ढांचे के रखरखाव एवं खरीद, वैज्ञानिक उपकरण एवं आधारभूत ढांचे तक पहुंच एवं इन्हें साझा करने एवं इनके निपटारे से जुड़ा विषय शामिल है। इसमें उपकरण एवं आधारभूत ढांचे के प्रभावी परिचालन के लिये ऑपरेटरों एवं तकनीशियनों का क्षमता उन्नयन, महंगे वैज्ञानिक शोध आधारभूत ढांचे के उपयोग की निगरानी तथा इनके प्रभावी परिचालन के लिये आधारभूत ढांचे के प्रबंधन का विषय शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि वैज्ञानिक शोध आधारभूत ढांचे का रखरखाव एवं नेटवर्क श्रीमान वास्तव में वैज्ञानिक शोध आधारभूत ढांचे से जुड़े पक्षकारों को जोड़कर क्षेत्रीय स्तर पर एक ऐसी व्यवस्था बनाने में मददगार होगा जिसके माध्यम से देशभर के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और उद्योग से जुड़े पेशेवरों को व्यापक पहुंच सुलभ हो सकेगी । इसके माध्यम से उपकरणों के रखरखाव एवं परिचालन के लिये प्रशिक्षित ऑपरेटरों का एक समूह तैयार किया जा सकेगा । मसौदा प्रपत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि हाल के वर्षो में भारत में शोध उपकरणों के अधिग्रहण में वृद्धि का रूख देखा गया है। इसमें आयातित उपकरणों की संख्या ज्यादा है। आमतौर पर भारतीय प्रयोगशालाओं में देखा जाता है कि महंगे अनेकों उपकरण बिना उपयोग के पड़े रहते हैं ।
विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के, वर्ष 2013 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में उपयोग किये जाने वाले उपकरणों में से 94 प्रतिशत तो आयातित हैं जबकि 6 प्रतिशत का निर्माण देश में होता है। इसमें कहा गया है कि काफी संख्या में उपकरण साझा नहीं किये जाते जो रखरखाव एवं कलपुर्जे से जुड़े विषयों से प्रभावित भी होते हैं । ऐसे में संस्थानों के बीच गठजोड़ और साझेदारी की संस्कृति से उपकरणों के बेहतर उपयोग और रखरखाव में मदद मिलेगी । मंजूरी मिलने के बाद यह नीति भारत सरकार के सभी वैज्ञानिक विभागों एवं एजेंसियों पर लागू होगी ।