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आयुर्वेद से मिल सकती है कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद

लखनऊ,मानव जीवन के घातक शत्रु के रूप में लंबे समय तक साथ रहने वाला सूक्ष्म विषाणु कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण में भारत समेत दुनिया के कई मुल्क शिद्दत से जुटे है लेकिन संरचना बदलने में माहिर इस वायरस से लड़ने और रक्षा के लिये पौराणिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के नुस्खे आम आदमी के भरोसे की कसौटी पर खरा उतर कर सकते हैं।

चिकित्सकों का स्पष्ट मत है कि चमगादड़ के शरीर से निकला विषाणु मानव जीवन के लिये घातक सिद्ध हो रहा है। अब तक के शोधों से यह साफ हो चुका है कि पशु पक्षियों की तुलना में यह वायरस मनुष्य के द्वारा तेजी से फैलता है। यह विशुद्ध रूप से छुआछूत का रोग है और जरूरी नहीं है कि लक्षणों के द्वारा ही इससे संक्रमित व्यक्ति की पहचान की जा सके, इसलिये जरूरी है कि हर व्यक्ति दूसरे को संक्रमित मानते हुये उससे दो गज की दूरी बनाये रखे और हर 15 मिनट के अंतराल में 15 से 20 सेकेंड के लिये अपने हाथ साबुन से धाेता रहे। बाहर निकलते ही मास्क पहनने को अपनी आदत में शुमार कर ले।

ग्रीन हर्बल हेल्थ सेंटर योजना के निदेशक डा केएन सिंह ने रविवार को यूनीवार्ता से कहा कि पीपल और लटजीरा जैसी जड़ी बूटियों मेंं एंटी वायरल,एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद है। विभिन्न शोधों से यह बात पहले ही प्रमाणित की जा चुकी है।

उन्होने कहा कि रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि हरे पीपल के पत्ते यानी फाइकस रेलिजिओसा में टेनिंस, फीनोल,सैपोनिन,शुगर,एल्कालायड्,मेथिओनिन,प्रोटीन,एमीनो एसिड जैसे तत्व मौजूद होते है जिनमें वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण से निपटने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने कर अद्धुत क्षमता है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर न सिर्फ संक्रमण के खतरे को टाला जा सकता है बल्कि नियमित सेवन कोरोना संक्रमण परत को पूरी तरह स्वस्थ कर सकता है।

चिकित्सक ने कहा कि एमिटी इंस्टीट्यूट आफ बायो टेक्नोलाजी की शबा हसन का एक शोध पत्र को 2014 में इंटरनेशनल जर्नल आफ साइंस इंव्यारमेंट एंड टेक्नोलाजी में प्रकाशित हुआ था जिसमें बताया गया था कि लटजीरा मेे हजारों औषधीय गुणों के साथ वायरस से लड़ने की क्षमता है।
उन्होने बताया कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिये एहतियात बरतने के साथ साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। खानपान और व्यायाम के अलावा रसोईघर में हर वक्त मौजूद रहने वाले मसाले और जड़ी बूटियां इसमें अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।