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फेफड़े का कैंसर होता है पर्यावरण से,जानिए कैसे

हम जिस पर्यावरण में रहते हैं उसकी हमारे स्वास्थ्य के संबंध में गंभीर भूमिका होती है। वैसे तो हर कोई जानता है। कि धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का सबसे प्रमुख कारण है। हालांकि इसके दूसरे कारण भी हैं। किसी व्यक्ति को फेफड़े का कैंसर कैसे होता है इसका मूल कारण अक्सर व्यक्ति के सांस लेने में होता है। अगर कोई व्यक्ति जहरीली हवा में रहे और बार-बार सिगरेट पीये तो उसे फेफड़े का कैंसर होने का जोखिम ज्यादा रहता है। आइए कैंसर का कारण बनने वाले कुछ पर्यावरणीय घटकों को देखें। क्लिनिक ऐप्प के सीईओ, श्री सतकाम दिव्या अनुसार के अनुसार

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वायु प्रदूषण
ऐसा देखा गया है कि जहरीले पदार्थ और हवा में मौजूद प्रदूषण सांस की समस्या के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। यह धूम्रपान नहीं करने वालों में कैंसर होने के अग्रणी कारणों में एक है। हम जो जहरीले पदार्थ सांस के जरिए शरीर में लेते हैं वो बहुत छोटे होते हैं। ये हमारे फेफड़े में पहुंच जाते हैं और इनमें से कुछ तो खून के प्रवाह में शामिल हो जाते हैं। वाहनों और फैक्ट्री से होने वाला प्रदूषण आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब है और आपको फेफड़े के कैंसर के लिहाज से ज्यादा जोखिम में रख सकता है।यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने घर में कुछ पौधे रखें। इनमें डेविल्स आई और पीस लिली प्रमुख हैं। आप एयर प्यूरीफायर में भी पैसे लगा सकते हैं। बाहर निकलें तो एन95 मास्क पहनें।

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रैडॉन
रैडॉन रेडियो सक्रिय गैस है जो मिट्टी में हो सकता है। मिट्टी में जब प्राकृतिक तौर पर यूरेनियम का क्षरण होता है तो यह गैस बनती है। बहुत सारे घर ऐसी जमीन के ऊपर बने हैं और लोगों को इसका पता ही नहीं है। दूसरी ओर, दरार और सुराख के जरिए रैडॉन घर में आ सकती है। अगर इसकी सघनता ज्यादा हुई तो उस घर में रहने वालों को फेफड़े का कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस कारण हर साल हजारों निर्दोष जानें जाती हैं।

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रैडॉन का स्तर जानने के लिए आप अपने घर की जांच आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए किट्स दुकानों में तैयार मिलते हैं। अगर स्तर ज्यादा हुआ तो आप रैडॉन मिटिगेशन के जरिए इसे खत्म कर सकते हैं। इससे आपके मित्रों और परिवार के लिए सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित होगा।

सिगरेट पीना
कहा जाता है कि हरेक सिगरेट आपके जीनव के 14 मिनट कम कर देती है। क्या आप जानते हैं कि सिगरेट पीना फेफड़े के कैंसर के अग्रणी कारणों में से एक है? सिगरेट में 4,000+ रसायन होते हैं और इनमें से कई के बारे में साबित हो चुका है कि उनमें कैंसर के गुण होते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सिगरेट पीने वाले लोग ज्यादा जोखिम में रहते हैं। यही नहीं, जो लोग सिगरेट के धुंए के संपर्क में रहते हैं वे भी जोखिम में रहते हैं। सिगार और पाइप भी नुकसानदेह हैं और इनसे फेफड़े का कैंसर हो सकता है पर सिगरेट पीने का जोखिम बहुत ज्यादा है।

कोयले का धुंआ
वैसे तो दूसरी तरह के चूल्हे, स्टोव आदि का उपयोग करने वाले लोगों को कोयले के धुंए का सामना नहीं करना पड़ता है पर बहत सारे लोगों के लिए यह अभी भी फेफड़े के कैंसर का कारण है। कोयले का धुंआ महिलाओं में फेफड़े के कैंसर का बड़ा कारण है और यह उन लोगों के लिए भी है जिन्होंने पहले कभी धूम्रपान नहीं किया। अगर आप बारबीक्यू या कुछ ऐसा आयोजन कर रहे हैं जिसमें कोयला जलना हो तो यह महत्वपूर्ण है कि साफ हवा आने-जाने का रास्ता रहे।

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औद्योगिक रसायन
क्या आप जानते हैं कि ऐसबेसटस में भी कैंसर के कारक हैं? ऐसबेसटस के काम करने वाले फैक्ट्री मजदूर भी उन रसायनों के संपर्क में रहते हैं जिनसे फेफड़े का कैंसर हो सकता है। यह कारण है कि सुरक्षा से संबंधित दिशानिर्देश होते हैं ताकि ऐसा होने से रोका जा सके। ऐसे कारखानों में ड्रेस कोड का पालन करना और उपयुक्त जूते दस्ताने आदि पहनना महत्वपूर्ण है। किसी भी उत्पाद का उपयोग करने से पहले उसके लेबल को पढ़ना महत्वपूर्ण है खासकर घर में। कुछ उत्पाद जैसे वुड स्ट्रिपर्स में रसायन होते हैं और इनका संबंध फेफड़े के कैंसर से होता है। इसलिए महत्वपूर्ण है कि शुरुआत से पहले आप उपयुक्त वेंटीलेशन, मास्क्स और दस्तानों का उपयोग शुरू कर दें।

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लकड़ी का धुंआ

सर्दी की ठंडी रात में जलती लकड़ी के सामने बैठना अच्छा लगता है। पर जैसे ही आपको पता चलेगा कि इससे फेफड़े का कैंसर हो सकता है आप परेशान हो जाएंगे। लकड़ी का बुरादा भी नुकसानदेह है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप कमरे को गर्म रखने के लिए लकड़ी जला रहे हों या घर के बाहर तापने के लिए आग जला रहे हों –

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आवश्यक सावधानी बरतें और उपयुक्त निर्देशों का पालन करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि आप कितनी देर धुंए में रहते हैं यह भी महत्वपूर्ण है और उसकी एक अधिकतम सीमा है। हम सब लोग अनजाने में ही नुकसानदेह रसायनों के प्रभाव में रहते हैं। आप किस रसायनों के प्रभाव में हैं उनकी उपयुक्त जानकारी और अपनी रक्षा के लिए आपको कौन से कदम उठाने चाहिए इससे संबंधित आवश्यक जानकारी का काफी मतलब होता है। हालांकि इस मामले में जागरूक होने से आपको और अपने परिवार को फेफड़े के कैंसर से सुरक्षित रखने में काफी सहायता मिलेगी।

रिपोर्टर-आभा यादव

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