हाईकोर्ट का आदेश,यूपी में अब इस तरह से नही निकल पाएंगी बारात….
September 27, 2019
नई दिल्ली, शादियों से होने वाले शोरगुल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाम लगाई है. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैरिज हॉल्स (Marriage Hall) में ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) पर सख्त रुख अपनाते हुए नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना (Fine) लगाने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने नियमों का उल्लंघन करने वाले शादी घरों पर भारी जुर्माना लगाने और लाइसेंस निरस्त करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमों के तहत डीजे बजाने की अनुमति न दी जाए तथा तय मात्रा से अधिक डेसिबल की ध्वनि होने पर कार्रवाई की जाए।
कोर्ट ने कहा है कि किसी विवाह गृह में अधिक ध्वनि होने की शिकायत यदि पुलिस के 100 नंबर पर आती है तो पुलिस निर्देशों का पालन करे। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव से छह नवंबर तक प्रगति रिपोर्ट मांगी है। शिव वाटिका बारात घर और अन्य की याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि सुशील चन्द्र श्रीवास्तव केस में दिए गए निर्देशों के तहत यदि कोई विवाह गृह ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का पालन नहीं करता तो पहली गलती पर एक लाख, दूसरी गलती पर पांच लाख और तीसरी गलती पर 10 लाख रुपये जुर्माना वसूला जाए। तीन गलती के बाद जिलाधिकारी उस विवाह गृह का लाइसेंस निरस्त कर दे।
कोर्ट ने कहा है कि कोई भी बारात विवाह घर से अधिकतम 100 मीटर की दूरी पर एकत्र होकर निकाली जाए। इसका पालन न करने पर विवाह घर के मालिक से जुर्माना लिया जाए। हर विवाह घर से नियमों के पालन का हलफनामा लिया जाए। कोर्ट ने पीडीए के प्रस्तावित बाइलॉज को लागू बाइलॉज के विपरीत होने के कारण अनुमोदित करने से इंकार कर दिया है। और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बाइलॉज तैयार किया जाए।
कोर्ट ने कहा है कि कानून के खिलाफ प्रयागराज शहर में तमाम विवाह गृह चल रहे हैं। जो शहर वासियों के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं। कोर्ट ने कहा पीडीए ने भी माना कि विवाह गृह शहर की यातायात व्यवस्था के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। प्राधिकरण ने दो बाइलॉज पेश किया।
कोर्ट ने कहा है कि मैरेज हॉल 1500 वर्ग गज में होने चाहिए। 18 मीटर चौड़ी सड़क पर 18 मीटर का फ्रंटेज होना चाहिए। 30 फीसदी कवर एरिया और 40 फीसदी ओपन एरिया होना चाहिए। साथ ही वाहन पार्किंग की व्यवस्था हो। कोर्ट ने शहर के मास्टर प्लान और जोनल प्लान पर भी विचार किया और कहा कि केवल सिविल लाइंस में ही जोनल प्लान तैयार हुआ है। 19 साल में पूरे शहर का जोनल प्लान तैयार नहीं किया जा सका। याचिका की सुनवाई छह नवंबर को होगी।