प्रयागराज, तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिल स्वरूपा प्रवाहित सरस्वती के तट पर 14 जनवरी मकर संक्राति से शुरू होने वाले माघ मेला में आने वाले कल्पवासियों और स्नानार्थियों को स्नान के लिए पर्याप्त अविरल एवं निर्मल जल उपलब्ध होगा।
मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने माघ मेले की तैयारियाें की समीक्षा करते हुए समय से पूरा कर लेने के विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होने कल्पवासियों को गंगा का अविरल और निर्मल जल समेत सभी जरूरी सुविधायें मुहैया कराने के चाकचौबंद इंतजाम समय से पूरे करने के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोविड़-19 की गाइड़ लाइन को ध्यान में रखते हुए मेला बसाया जाएगा। समतली और सफाई के लिए टेंडर जारी किया गया है। विभागों से प्रस्ताव आने के बाद अन्य टेंडर निकालकर जल्द काम शुरू कराया जाएगा। इस बार 538.34 हेक्टेयर में माघ मेला प्रस्तावित है। इस बार गंगा पर चार पंटून पुल बनाने की योजना है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने 2021 माघ मेले में बुजुर्ग और बच्चों को शिरकत करने से गुरेज करने की सलाह दी है। उन्होने कहा कि चूंकि कोरोना का खतरा बच्चों और बुजुर्गों में अधिक होता है इसलिए उन्हें इसमें शामिल होने से बचना चाहिए। यदि कोई बुजुर्ग संगम स्नान करना चाहता है तो उसे दोपहर में आना न/न कि प्रात:काल।
एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि मेला आयोजित होने में किसी प्रकार का संशय नहीं था। मुख्यमंत्री से जब हम लोगों ने मुलाकात की थी तब उन्होने कहा था कि माघ मेला एक परंपरा है। माघ मेला कल्पवासियों और संतों के लिए होता है। मेले की व्यवस्था सुचारू रूप से सही समय से की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसपर संज्ञान लिया और मेला लगाने के लिए निर्देश दिए। सरकार का निर्देश है ‘दाे गज की दूरी- मास्क जरूरी” का पालन करें।
परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि वास्तव में कोरोना काल में माघ मेले का आयोजन दुरूह कार्य है । मुख्यमंत्री एक संत हैं। उन्होने मेले की समस्या को समझते हुए आयोजन का निर्देश दिया।
उन्होने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की गाइड लाइन का पालन करते हुए मेला आयोजित होगा। कोरोना के कारण इस बार मेले में भीड़ भी कम होगी। इसलिए कुछ सेक्टर के साथ पीपा पुल भी कम ही बनाया जाएगा। उन्होने मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे शासन के निर्देश और कोरोना की गाइड़लाइन का पालन करें, मेले में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं होने पाएगी।
मेले का स्वरूप वहीं होगा लेकिन विस्तार में कुछ कटौती की गयी है। श्री गिरी ने कथा वाचकों से भी अनुरोध किया है कि पण्डाल में स्रोताओं के बैठने के लिए उनके बीच दूरी बनाकर रखें।
गौरतलब है कि माघ मेले में कुल छह प्रमुख स्नान पड़ते हैं। पहला मुख्य स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति, 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या, 16 फरवरी बसंत पंचमी, 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 11 मार्च को अन्तिम स्नान महाशविरात्रि का होगा।