भटोपा का नामकरण तीनों युवतियों भावना वर्मा, टोना सोजतिया और परिधि भाटी ने अपने नाम के पहले अक्षर को जोड़कर किया है. वोट के लिए यह यात्रा दो मई को मुंबई से शुरू हुई. इन युवतियों ने एक आकर्षक कार बनाई है. इस कार को पूरी तरह मतदान का संदेश देने वाले स्टीकर से सजाया गया है. कार के एक हिस्से में घूंघट वाली महिलाओं के चित्र छपे हैं तो अन्य हिस्सों में उंगली पर लगी स्याही है, जो बताती है कि वोट ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है.
सड़क मार्ग से यात्रा के दौरान जो भी गांव मिलते हैं, वहां की महिलाओं से संवाद कर चुनाव में वोट करने के लिए उन्हें राजी किया जाता है.यह दल अपनी यात्रा के दौरान अब तक लगभग 10 लोकसभा क्षेत्रों से होकर गुजर चुका है. यात्रा के दौरान दल के सामने महिलाओं ने अपनी समस्याओं का जिक्र भी किया. टोना बताती हैं कि उनके दल ने जब महिलाओं से वोट करने को कहा तो कई महिलाओं का जवाब बदलते दौर के बावजूद पुराने दौर की याद दिलाने वाला था.
गांव की लगभग हर महिला का यही कहना होता है, ‘एक वोट से क्या होता है.’ जब उन्हें सरकारों के बनने और बिगड़ने के किस्से बताए गए तो महिलाओं को लगा कि उनके एक वोट की कीमत है. दल के सदस्यों के अनुसार, हर महिला सिर्फ एक ही बात कहती है, ‘चुनाव आते हैं नेता घरों के चक्कर लगाते हैं, समस्या के समाधान की बात करते हैं, मगर होता कुछ नहीं. इसलिए वोट करने का मन तक नहीं करता.’
टोना के मुताबिक, ‘ग्रामीण इलाके की महिलाओं को सबसे ज्यादा मलाल इस बात का है कि उनकी समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं होता. इतना ही नहीं वे वोट भी अपने परिवार के सदस्यों की मर्जी से डालती हैं. महिलाओं को यही बताया जा रहा है कि नेताओं पर उंगली उठाने से बेहतर है कि उंगली से ईवीएम का बटन दबाकर अपनी तकदीर संवारो.’