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यूपी बार कौंसिल का बड़ा फैसला, ठगी के आरोपी वकील को दी ये सजा?

प्रयागराज, यूपी बार कौंसिल ने बड़ा फैसला लेते हुये, ठगी के आरोपी एक वकील को बड़ी सजा दी है?

यूपी बार कौंसिल ने एक ज्योतिर्विद से ठगी के आरोप में अधिवक्ता शक्ति प्रताप सिंह को व्यवसायिक कदाचार का दोषी करार देते हुए 15 वर्ष के लिए डिबार कर दिया है।
कौंसिल ने अधिवक्ता का लाइसेंस जब्त करते हुए आगामी 15 वर्षों तक उनके वकालत करने पर रोक लगा दी है।
ज्योतिर्विद रामानंद शुक्ल ने अधिवक्ता शक्ति प्रताप सिंह पर ठगी करके एक लाख रुपये से अधिक रकम हड़पने का आरोप लगाते हुए बार कौंसिल में शिकायत की थी। कौंसिल की अनुशासन समिति ने ज्योतिर्विद के परिवाद पर सुनवाई के बाद पाया कि अधिवक्ता शक्ति प्रताप सिंह पर लगाए आरोप सही हैं। साथ ही उनके विरुद्ध कई थानों में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं जिनकी सूचना बार कौंसिल को न देकर उन्होंने अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

ज्योतिर्विद ने शिकायती प्रार्थना पत्र में कहा था कि 12 जून 2019 को उन्होंने बीमार पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर उनके इलाज के लिए बैंक से डेढ़ लाख रुपये निकाले थे। उसी दिन शक्ति प्रताप सिंह एवं शिवम शुक्ल ने फर्जी सिविल लाइंस चौकी इंचार्ज बनकर उन्हें फोन किया कि उनके खिलाफ एससीएसटी एक्ट का मुुकदमा दर्ज करने की तहरीर आई है। दोनों ने उसे थाने बुलाया। थाने पहुंचने पर उससे मामले में समझौता कराने के लिए डेढ़ लाख रुपये मांगे गए।

इसके बाद दोनों उसे अपनी गाड़ी से कचहरी ले गए और समझौते का हलफनामा बनवाकर उसके पास मौजूद एक लाख 26 हजार रुपये छीन लिए। रामानंद शुक्ल ने सिविल लाइंस थाने में इसकी एफआईआर दर्ज कराई और अधिवक्ता शक्ति प्रताप सिंह के खिलाफ बार कौंसिल में परिवाद प्रस्तुत कर कार्रवाई की मांग की।

अनुशासनात्मक ‌समिति के फैसले में कहा गया कि परिवाद पर सुनवाई के दौरान पाया कि रामानंद शुक्ल के साथ हुई घटना की जांच सीओ सिविल लाइंस ने की है। सीओ की रिपोर्ट में रामानंद शुक्ल के आरोपों को सही पाया गया है। इसके अलावा शक्ति सिंह के खिलाफ मांडा, जार्जटाउन, नैनी आदि थानों में कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

एक महिला ने उनके खिलाफ हत्या के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। शक्ति प्रताप सिंह के नाम से एक व्यवसायिक वाहन भी पंजीकृत पाया गया। अनुशासन समिति के समक्ष शक्ति प्रताप सिंह ने अपने बचाव में कोई साक्ष्य प्रस्तुत ‌नहीं किया। इन आधारों पर अनुशासन समिति ने शक्ति प्रताप सिंह को व्यवसायिक कदाचार का दोषी करार देते हुए उनके वकालत करने पर 15 वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया है।