नई दिल्ली, विज्ञापनों में अक्सर एक सुन्दर और गोरी लड़की को दिखाया जाता है, जो कहती है कि उसकी सुंदरता का राज कोई खास फेयरनेस क्रीम है। क्योंकि हमारे यहां तो गोरेपन को ही सुंदरता माना जाता है। जब भी लड़की की शादी की बात हो या लाइफ में करियर की ऊँची उड़ान भरना हो या बॉय फ्रेंड के साथ डेट पर जाना हो हर जगह फौरन फेयरनेस क्रीम इस्तेमाल करना शुरू कर दीजिए। क्योंकि की विज्ञापन के अनुसार गोरापन ही आपकी पर्सनाल्टी में बदलाव ला कर आपमे कॉन्फिडेंस जगाता है। ऐसे ही दावे करते हैं फेयरनेस क्रीम के बेशुमार विज्ञापन। देश में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70 फीसदी हिस्सा “फेयर एंड लवली” के पास ही है.
अब यही Fair and Lovely बड़ी कंपनी हिन्दुस्तान यूनीलीवर अपने ब्रांड फेयर एंड लवली का नाम बदलने जा रहा है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि फेयर एंड लवली से फेयर शब्द को हटाने की बात चल रही है, नया ब्रांड नेम सभी की मंजूरी के बाद लॉन्च किया जाएगा। कंपनी जो नए नाम के साथ अपने प्रोडक्ट लॉन्च करेगी जिससे अलग-अलग स्किन टोन वाली महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
आपको बता दें कि फेयर एंड लवली को लेकर कई सारे आरोप लगे थे। खासकर स्किन कलर को लेकर कंपनी पर भेदभाव करने का आरोप लगा था। जिसके बाद अब कंपनी ने ब्रांड नेम ही चेंज करने विचार कर रही है। हिन्दुस्तान यूनीलीवर ने गुरुवार को कहा है कि वो अपने ब्रांड के नाम में से फेयर शब्द का इस्तेमाल बंद कर देगी। कंपनी ने यह भी बताया कि उसने अपने नए नाम के लिए अप्लाई किया हुआ है। हालांकि इसके लिए अभी अप्रूवल नहीं मिला है।
कंपनी ने अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हम त्वचा को सुंदर बनाने के लिए उत्पाद बनाते रहे हैं. कंपनी ने फैसला किया है कि अपने इस क्रीम के ब्रैंडिंग में गोरापन शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी. साथ ही कंपनी ने अपने किसी भी प्रचार में फेयरनेस, वाइटनिंग और लाइटिंग जैसे शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है.
ये ब्रेंड गोरा बनाने वाले दावे को लेकर भी काफी चर्चा में रहा था। 45 साल पुराना फेयर एंड लवली ब्रैंड 1975 में लॉन्च किया गया था. तब से कंपनी अपने प्रचार में कई मशहूर मॉडल्स को विज्ञापन में सांवले रंग से गोरा होते दिखाती रही है. विज्ञापन में हमेशा यही कहा जाता है कि गोरापन चाहिए तो इस क्रीम का इस्तेमाल करें. देश में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70 फीसदी हिस्सा “फेयर एंड लवली” के पास ही है.
आपको बता दे पिछले कुछ सालों से खूबसूरती और गोरापन मामले में कंपनी के इस प्रोडक्ट का विरोध होता रहा है. कई महिला संगठनों ने विरोध में कहा था कि किसी महिला की खूबसूरती का आकलन उसके रंग से नहीं होना चाहिए. संगठनों का आरोप रहा है कि क्रीम में गोरापन शब्द को जिस तरह से इस्तेमाल किया जाता है उससे ये प्रतीत होता है कि सिर्फ गोरी महिलाएं ही खूबसूरत होती हैं.
कुछ दिन पहले एएससीआई ने हिंदुस्तान यूनिलीवर के ‘फेयर एंड लवली ब्रांड के एडवांस्ड मल्टी विटामिन से संबंधित विज्ञापन को भी भ्रामक करार दिया है। अप्रैल में जिन अन्य प्रमुख ब्रांडों के विज्ञापन पर परिषद ने आपत्ति जताई है उनमें एशियन पेंट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, एफसीए इंडिया ऑटोमोबाइल्स, ग्रोफर्स, मेकमाईट्रिप और इंडिगो एयरलाइंस शामिल हैं।
रिपोर्टर-आभा यादव