नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी नरेश सहरावत की सजा निलंबित करने की समय सीमा बढ़ाने की याचिका निष्प्रभावी हो गयी है, क्योंकि अदालत ने पहले ही कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण अंतरिम राहत की समय यीमा 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी है, ऐसे में सजा निलंबित करने की समय सीमा बढ़ाने के आवेदन का आधार नहीं है।
न्यायमूर्ति जे आर मिधा और न्यायमूर्ति बृजेश सेठी ने 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में दोषी नरेश सहरावत की याचिका पर सुनवाई के दौरान स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अदालत की फुल-बेंच ने पहले ही जेल में कैदियों के वापस लौटने पर कोरोना महामारी फैलने की संभावना को देखते हुए अंतरिम राहत की समयसीमा बढ़ा दी है।
नरेश ने अमाशय और गुर्दे की बीमारी के इलाज का हवाला देते हुए अदालत से सजा को तीन माह के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया है। दरअसल, सिख विरोधी दंगा मामले में नरेश सहरावत उम्र कैद की सजा काट रहा है।
उसने न्यायालय के सामने अपनी सजा के खिलाफ भी अपील की है।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल की जांच पर निचली अदालत ने 1984 के दंगों के दौरान नयी दिल्ली में दो लोगों की हत्या के मामले में दोषी यशपाल सिंह को मृत्यु दंड एवं नरेश सेहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।