भाजपा ने सावरकर के योगदान को उजागर करने का अभियान किया तेज
October 17, 2019
नयी दिल्ली, भाजपा ने स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर के योगदान को उजागर करने का अभियान बृहस्पतिवार को तेज कर दिया। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अगर वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 की क्रांति इतिहास महज विद्रोह के नाम से जानी जाती।
वाराणसी में एक कार्यक्रम में शाह ने सावरकर को श्रद्धांजलि देते हुए भारत के दृष्टिकोण से इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता पर बल दिया । महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भगवा दल ने अपने घोषणा पत्र में सावरकर को भारत रत्न देने का वादा किया है जिसके बाद पार्टी के कई नेताओं ने शाह के सुर में सुर मिलाए।
सावरकर को लेकर अलग-अलग मत रहे हैं क्योंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी की हत्या से उनके कथित जुड़ाव के कारण हमेशा उनका विरोध किया। उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया लेकिन उनके कट्टर हिंदुत्व विचारों के कारण धर्मनिरपेक्ष संगठनों के लिए वह अछूत बने रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘‘सावरकरजी ने जिसे संरक्षण दिया और जिसका समर्थन करते रहे’’ कांग्रेस उसके पक्ष में नहीं है। वह सावरकर को भारत रत्न देने की मांग के अपनी पार्टी के विरोध के बारे में बोल रहे थे। बहरहाल, सिंह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था।
भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने सिंह से जानना चाहा कि वह सावरकर की विचारधारा के किस पहलु का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मनमोहन सिंह को स्पष्ट करना चाहिए कि वह सावरकर के दर्शन के किस पहलु के खिलाफ हैं। वह (सावरकर) राष्ट्रवाद, सामाजिक न्याय, समानता की बात करते हैं। वह वैज्ञानिकता की बात करते हैं और उन्होंने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
सावरकर की पूरी व्यवस्था आशावादी थी और दूर दृष्टि वाली थी। इसलिए सावरकर का विरोध करने का कोई कारण नहीं है।’’ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘गुप्तवंशक-वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य’ का उद्घाटन करने के बाद शाह ने कहा, ‘‘अगर वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 की क्रांति इतिहास नहीं बन पाती और हम इसे अंग्रेजों की दृष्टि से देखते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सावरकर ने ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को ‘क्रांति’ का नाम दिया अन्यथा बच्चे इसे विद्रोह के नाम से जानते।’’ सावरकर को ‘‘महान राष्ट्रभक्त’’ बताते हुए भाजपा के महासचिव पी. मुरलीधर राव ने कहा कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि 1857 के विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम नाम दिया जाए।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अन्यथा यह अंग्रेजों के षड्यंत्र के तहत सिपाही विद्रोह बनकर रह जाता… बाद में वामपंथी बुद्धिजीवी भी इसे यही नाम देते।’’ भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रभारी अमित मालवीय ने सावरकर की प्रशंसा में महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी के बयानों को उद्धृत किया और उन्हें भारत रत्न देने की मांग का कांग्रेस द्वारा विरोध करने को लेकर विपक्षी दल को निशाना बनाया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस ने काफी पहले महात्मा गांधी के मूल्यों को छोड़ दिया लेकिन इंदिरा गांधी के बारे में क्या जिन्होंने खुद ही वीर सावरकर को महान सेनानी बताया था? क्या कांग्रेस ने उन्हें भी त्याग दिया है।’’