कानपुर , आईआईटी कानपुर जैसे दिग्गज संस्थान मे जातीय उत्पीड़न की घटना से परेशान होकर आखिर एक युवा प्रोफेसर ने अपने ही विभाग के चार वरिष्ठ प्रोफेसरों के खिलाफ पुलिस मे अजा अजजा उत्पीड़न निवारण कानून के अंतर्गत मामला दर्ज कराया है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने पहले ही चारों को मजाक, मानसिक यातना व धमकी देने का दोषी पाया है।
आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में दलित समुदाय के एक सदस्य के उत्पीड़न के आरोप में विभाग के चार वरिष्ठ प्रोफेसर के खिलाफ सोमवार को कल्याणपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया है । पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) संजीव सुमन ने बताया कि यह मामला दलित समुदाय के एक संकाय सदस्य ने दर्ज कराया है । मामला अजा अजजा उत्पीड़न निवारण कानून की विभिन्न धाराओं में दर्ज किया गया है और पुलिस को जांच के निर्देश दिये गये हैं ।
उन्होंने बताया कि मामला आईआईटी के ईशान शर्मा, संजय मित्तल, राजीव शेखर, सीएस उपाध्याय और एक अन्य के खिलाफ दर्ज कराया गया है । एसपी ने बताया कि शिकायतकर्ता सुब्रहमन्यम सदरेला संस्थान का पूर्व छात्र है । उसने आरोप लगाया है कि आरोपी प्रोफेसरों और अन्य ने संस्थान में यह अफवाह फैलायी कि वह आरक्षण कोटे के तहत यहां भर्ती हुआ है और उसे सवालों के जवाब देना नहीं आता ।
सदेरला ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2017 में एक नौकरी के लिए आवेदन किया था और उन्हें बाह्य विशेषज्ञों की मंजूरी पर 28 दिसंबर 2017 को नियुक्ति पत्र दिया गया। उन्होंने एक जनवरी 2018 को आईआईटी-कानपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने आरोप लगाया कि 4 जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान संजय मित्तल ने उन पर अपमानजनक टिप्पणी की, जिसके बाद उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए गए।
इसके बाद सदेरला ने राज्य एससी/एसटी आयोग में शिकायत की, जिस पर 10 अप्रैल को सुनवाई हुई और चारों प्रोफेसरों के खिलाफ आदेश दिए गए।आरोपी प्रोफेसरों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां उन्हें मामले में स्टे मिल गया।बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने पहले ही चारों को मजाक, मानसिक यातना व धमकी देने का दोषी पाया है। आईआईटी के एक अधिकारी के अनुसार, शिकायकर्ता ने इस संबंध में आईआईटी के निदेशक और एयरोस्पेस इंजीनयरिंग विभाग प्रमुख एके घोष को कड़े शब्दों में एक ईमेल भी भेजा था ।