चंबल घाटी को लेकर सरकार का बड़ा निर्णय, अब खूबसूरती देखेंगे पर्यटक
November 15, 2018
इटावा , कभी कुख्यात डाकुओ की पनाह रही चंबल घाटी को लेकर सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। यहअब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है । उत्तर प्रदेश वन विभाग ने पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है जिसके तहत यहॉ आने वाले पर्यटक दुर्लभ घडिय़ाल, मगरमच्छ, डाल्फिन आैर विदेशी पक्षियों के साथ खूबसूरत बीहड़ का दीदार कर सकेंगे।इसके लिए चार मोटरबोट की व्यवस्था की गई है जो तीन स्थानों पर चलेंगी ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने का सपना इटावा जिले में साकार हो गया है जिसकी शुरुआत डकैतों को पनाह देने वाली चंबल घाटी से हुई है।पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के प्रबंधक संजीव चौहान ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यह योजना विचाराधीन थी । अब वन विभाग ने इसके लिए पहल की है । इसमें जलीय जीवों, विदेशी पक्षियों के साथ चंबल घाटी के मंदिर एवं पुराने ऐतिहासिक किलों को भी दिखाए जाने की योजना है
। इसके लिए इटावा के श्यामनगर में एक बुकिंग केंद्र खोल दिया गया है । चार मोटरबोट तैनात कर दी गई हैं । पर्यटकों को लाइफ जैकेट के साथ दूरबीन और नेचर गाइड भी उपलब्ध कराया जाएगा ।उन्होने बताया कि 28 किलोमीटर के नौका भ्रमण में तीन जलमार्ग बनाए गए हैं । पहला सहंसो से बरचौली (पांच किलोमीटर दूसरा भरेह से पथर्रा आठ किलोमीटर) और तीसरा भरेह से पंचनदा (15 किलोमीटर ) तक ले जाया जायेगा । दो मोटर बोटो में 16 लोगों के बैठने का प्रबंध किया गया है । इसमें पर्यटको को लाइफ जैकेट भी प्रदान की जाएगी । अगर कोई हादसा हुआ तो पर्यटकों को बचाया जा सके । ट्रेंड स्टाफ के साथ साथ नौका भ्रमण कराया जाएगा ।
आगरा के चंबल सेंचुरी क्षेत्र के उप वन संरक्षक आनंद कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इको पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में काफी प्रयास किया है । उत्तर प्रदेश का विकास पर्यटन के साथ साथ जोड़ने का बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में उपलब्ध कराया जा रहा इको पर्यटन इसी दिशा में एक कदम है । वन विभाग और सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन के सहयोग से चंबल सेंचुरी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये योजना शुरू कर दी गई है। इससे पर्यटक चंबल के सौदर्य को देख सकेंगे ।चंबल सेंचुरी में भ्रमण की शुरुआत सहसों व बरचौली से पांच किमी दायरे में होगी । यहां पर डॉल्फिन, मगरमच्छ, घडिय़ाल, कछुए व प्रवासी और अप्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र होंगे ।
दूसरे स्थान भरेह से पथर्रा आठ किमी का क्षेत्र होगा । यहां जलीय जीवों और पक्षियों के साथ भरेह किला एवं भारेश्वर महादेव मंदिर का दीदार भी कराया जाएगा। इसके अलावा भरेह से पचनदा पंद्रह किमी क्षेत्र तीसरे स्थान के रूप में चुना गया है। यहां महाकालेश्वर मंदिर भी इसमें शामिल हो जाएगा।
चंबल घाटी हमेशा ही दुर्दांत दस्यु गिरोहों की पनाहगाह रही है । ईको टूरिज्म की शुरुआत जहां से हो रही है वे स्थान कभी दस्यु सम्राट फूलन देवी, निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, रामवीर गुर्जर व फक्कड़ गुरु के रहने का ठिकाना थे । 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही यहां से डकैतों का सफाया कर दिया गया । अब इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वन संरक्षण अधिकारी डा.राजीव चौहान ने बताया कि ईको पारिस्थितिकी पर्यटन का एक विशेष रूप है । जो पर्यटन के प्राकृतिक पर्यावरण एवं संसाधनों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम करते हुए पर्यटन को एक नया आयाम देता है । पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के विभिन्न अवयवों की स्थिति में सतत सुधार एवं विकास करते हुए निरंतर जागरूकता रखने के लिए ईको पर्यटन मनोरंजन के साथ-साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आवश्यक हो गया है ।
वन क्षेत्राधिकारी सर्वेश भदौरिया ने कहा कि इको पर्यटन के मूलभूत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्राकृतिक क्षेत्रों के भ्रमण के समय मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखना आवश्यक है । वन एवं वन्य प्राणियों के प्रति सुरक्षा एवं प्रेम की भावनाएं स्थानीय समुदाय एवं संस्कृति के प्रति आदर व सम्मान की भावना प्राकृतिक जीवन शैली का अनुसरण करना जिस क्षेत्र में आप भ्रमण करने जा रहे हैं ।