नयी दिल्ली, वैश्विक महामारी कोरोना के मृतक जिनके अंतिम संस्कार करने में अपने पीछे हट गए उनकी और अन्य लावरिस शवों की देश के विभिन्न श्मशान घाटों से अस्थियों को एकत्रित कर देवोत्थान सेवा समिति पूरे वैदिक परंपराओं के साथ तीन अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल में पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करेगी।
समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र और यात्रा संयोजक विजय शर्मा ने गुरुवार को बताया कि कई मौकों पर तो कोरोना मृतकों का अपनों ने ही अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया लेकिन पिछले 18 वर्ष से देश-विदेश के श्मशान घाटों पर रखे लावारिस शवों की अस्थियों को एकत्रित कर गंगा नदी में प्रवाहित कर रही देवोत्थान समिति ने अपना दायित्व निभाने की मुहिम में कोरोना मृतकों की श्मशान घाटों पर रखी अस्थियों को भी इकट्ठा किया है।
श्री नरेंद्र ने कहा कि समिति 18 वर्षों में करीब एक लाख, 36 हजार, 789 अस्थि कलशों का विसर्जन भव्य शोभायात्रा निकालकर हरिद्वार स्थित कनखल के सतीघाट पर मां गंगा के आंचल में 100 किलो दूध की धारा और वैदिक रीति से कर चुकी है। उन्होंने कहा कि समिति के अथक प्रयास से ही वर्ष 2011 में पाकिस्तान के कराची शहर में रखे 135 हिंदू -सिखों के अस्थि कलश और वर्ष 2016 में 160 अस्थि कलशों को भी भारत लाकर यात्रा के साथ गंगा में प्रवाहित किया गया ।
समिति अध्यक्ष ने कहा कि इस बार पूरा देश ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व कोरोना के संक्रमण काल के भयावह दौर से गुजर रहा है, ऐसे में कोरोना से मृतक व्यक्ति के उसके परिजन भी अंतिम दर्शन नहीं कर सके, परंतु ये सभी सनातन संस्कृति के वह जीव हैं, जिन्हें परमात्मा ने जन्म दिया है। ऐसे में इन सभी कोरोना पीड़ित मृतकों के परिजन बनकर समिति दिल्ली-
एनसीआर के सभी श्मशान घाटों से अस्थि कलशों को संग्रहित कर रही जिससे मां गंगा के आंचल में जाकर वह मोक्ष प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि इस बार भी कार्य समिति के महामंत्री और यात्रा संयोजक श्री शर्मा अपनी टीम के साथ अस्थियों को एकत्रित करने में पिछले काफी दिनों से जुटे हुए हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि इस बार कोरोना संक्रमित मृतकों, बेसहारा और असहाय लोगों के अस्थि कलशों को एकत्रित करके महात्मा गांधी की जन्मतिथि 02 अक्टूबर के पावन अवसर पर आईटीओ से पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद यात्रा हरिद्वार के लिए रवाना होगी। उन्होंने बताया कि हजारों की संख्या में एकत्र अस्थि कलशों को सम्मान पूर्वक एक रथ में विराजमान कर हरिद्वार ले जाया जाएगा। कोरोना के सभी मानकों और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इस बार बैंड बाजे और झांकियां नहीं जाएंगी। साथ ही एक अस्थि कलश का रथ और केवल 50 लोगों का काफिला सोशल डिस्टेंस, मास्क पहनकर और सेनेटाइजर आदि सभी नियमों का सख्ती से पालन करते हुए इन सभी हुतात्माओं को 100 किलो दूध की धारा के साथ तीन अक्टूबर शनिवार को कनखल के सतीघाट हरिद्वार में विसर्जित करेगा।