नयी दिल्ली, देश की काफी आबादी कोरोना संक्रमण के प्रति संवेदनशील है और यदि शहरी तथा स्लम क्षेत्रों में सामाजिक दूरी, मॉस्क तथा व्यक्तिगत साफ सफाई के दिशानिर्देशों की अवहेलना की गई तो उनमें कोरोना संक्रमण अधिक फैल सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) की ओर से कराए गए “ सीरो सर्वेक्षण” में यह बात उभर कर सामने आई है।
आईसीएमआर के महानिदेशक डा़ बलराम भार्गव ने गुरूवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह सीरो सर्वेक्षण देश में मई माह में कराया गया था। इसमें देश के कोरोना के अधिक संक्रमण वाले 83 जिलों में 26400 लोगों की रक्त जांच कर उनमें इम्युनोग्लोबिन जी एंटीबाॅडी की जांच की गई थी। इसमें एलिसा टेस्ट का इस्तेमाल किया गया था।
उन्होंने बताया कि इसमें रक्त की जांच कर उनमें बनने वाले इस एंटीबॉडी का पता लगाकर यह जानकारी मिलती है कि इन व्यक्तियों में पहले इसका संक्रमण हुआ है या नहीं। अगर एंटीबॉडी टेस्ट पाजिटिव आता है तो यह पुष्टि हो जाती है कि उनमें पहले संक्रमण हो चुका है।
इसमें दो तरह की जांच की गई थी और पहले आम लोगों की जांच की गई थी जहां कोरोना का प्रकोप अधिक नहीं था और दूसरी जांच उन हॉट स्पॉट क्षेत्रों और कंटेनमेंट जोन में की गई थी जहां कोरोना का संक्रमण अधिक था।
इस परीक्षण में पता चला है कि 0.73 प्रतिशत लोगों में पहले हुए संक्रमण का पता चलता है और यह सब लॉकडाउन और कंटेनमेंट प्रयासों के चलते संभव हुआ है। इसका अर्थ यह भी है कि देश की अधिक आबादी अभी भी कोरेाना संक्रमण के प्रति संवेदनशील है और संक्रमण का खतरा ग्रामीण क्षेत्रों में कम है तथा यह शहरी क्षेत्रों में 1.09 गुना तथा शहरी स्लम क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 1.89 गुना अधिक है। कंटेनमेंट जोन में अधिक संक्रमण पाया गया है और इसमें भी काफी विभिन्नताएं देखी गई हैं।