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Covid-19 Vaccine: जानिए किन लोगों को सोच-समझ कर लगाना चाहिए वैक्सीन

नई दिल्ली , पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मामलों में अब कमी आने लगी है। वहीं दूसरी तरफ कई देशों में लोगों को वैक्सीनदेने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। लेकिन फिर कुछ लोगों को बहुत सोच समझ कर वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है। इसलिए कोरोना वायरस की वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से विचार-विमर्श करना जरूरी है ।

एलर्जी की समस्या वाले लोग

अमेरिका के सीडीसी (के अनुसार, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन से कई लोगों में गंभीर एलर्जी पाई गई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी को कोई भी इंजेक्शन लगाने के बाद गंभीर एलर्जी की समस्या होती है तो उसे भी कोरोना की वैक्सीन लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को कोविड -19 वैक्सीन के पहले शॉट पर गंभीर एलर्जी की होती है, तो सीडीसी उन्हें वैक्सीन की दूसरी शॉट नहीं लेने की सलाह देता है। जिन लोगों को एलर्जी की पहले से कोई शिकायत नहीं है उन्हें वैक्सीन देने के 15 मिनट बाद तक जबकि एलर्जी की शिकायत वालों को 30 मिनट तक निगरानी में रखा जाएगा।

कोरोना पॉजिटिव लोगों को

क्लिनिकल ट्रायल में सारी वैक्सीन उन लोगों पर सुरक्षित पाई गई हैं जो पहले कोविड-19 से संक्रमित रह चुके हैं। सीडीसी का कहना है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन तब तक नहीं देनी चाहिए जब तक कि वो आइसोलेशन और इस महामारी से पूरी तरह बाहर ना आ जाए। वहीं एंटीबॉडी थेरेपी लेने वालों को 3 महीने के बाद वैक्सीन लगवानी चाहिए।

 

प्रेग्नेंट और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं

गर्भवती या ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिलाओं को कोरोना की वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से विचार-विमर्श करना चाहिए। हालांकि, अमेरिका के कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना की वजह से ज्यादा बीमार होने का खतरा होता है। भले ही प्रेग्नेंट महिलाओं पर वैक्सीन का डेटा उपलब्ध नहीं है लेकिन ये कोरोना से सुरक्षा देती है और कोरोना की वजह से प्रेग्नेंसी पर पड़ने वाले गंभीर दुष्प्रभावों से बचा सकती है। इसलिए डॉक्टर से परामर्श के बाद प्रेग्नेंट महिलाएं भी वैक्सीन लगवा सकती हैं, वहीं सीडीसी का कहना है कि ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चों में वैक्सीन का फिलहाल कोई प्रभाव नहीं पाया गया है।

मेडिकल कंडीशन वाले लोग

क्लिनिकल ट्रायल के अनुसार, वैक्सीन मेडिकल कंडीशन वाले लोगों पर ही वैसा ही असर करती है जितना कि स्वस्थ लोगों पर। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉक्टर डीन ब्लमबर्ग ने हेल्थलाइन को बताया, ‘हमारे पास इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज्ड या एचआईवी मरीजों का डेटा नहीं है लेकिन हम जानते हैं कि इन लोगों में कोरोना का खतरा गंभीर हो सकता है। इसलिए ये लोग भी वैक्सीन लगवा सकते हैं. हालांकि ये उनका व्यक्तिगत निर्णय है और इसे लेने से पहले उन्हें अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए’

छोटे बच्चे

मॉडर्ना वैक्सीन 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए है, वहीं फाइजर वैक्सीन 16 उम्र और उससे ज्यादा के लोगों के लिए अधिकृत की गई है। वहीं, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन 12 साल या उससे ऊपर के आयु वर्ग को दी जा सकती है। जबकि कोविशील्ड का इस्तेमाल 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में किया जा सकता है। इस समय, बच्चों में कोविड-19 वैक्सीन की स्टडी नहीं की गई है इसलिए उन्हें वैक्सीन देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं किया गया है।

इन लोगों को पहले दी जाएगी वैक्सीन

भारत में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू होने वाला है। इस वैक्सीनेशन ड्राइव में सबसे पहले डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स, सफाई कर्मचारियों सहित सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद 50 साल से अधिक उम्र वाले और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को वैक्सीन देने का काम किया जाएगा।