लखनऊ, आम आदमी पार्टी ने यूपी की बीजेपी सरकार को दलित पिछड़ा विरोधी सिद्ध करते हुये उसपर जातिवादी होने के गंभीर आरोप लगायें हैं.
आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाते हुये पूछा है कि राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया गया? क्या इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि वे दलित हैं?
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह यहीं नहीं ठहरे, उन्होंने मौर्य समाज में भी नाराजगी होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एक भी मौर्य को काम नहीं दिला पाए हैं। उनका कहना था कि आज केशव मौर्य खून के आंसू रोते हैं.
आप प्रभारी ने राजभर, कुर्मी, तेली, गड़रिया, जाटव, सोनकर, पासवान, कोली, वाल्मीकि, बढ़ई, धोबी, कश्यप, लोधी व कुम्हार आदि जातियों के नाम गिनाते हुए योगी सरकार से उनकी नाराजगी की बात कही.
सांसद संजय सिंह ने योगी सरकार से सवाल किया है की जिलों में कितने डीएम और पुलिस कप्तान दलित पिछड़ी जातियों से हैं. संजय सिंह के अनुसार थाने से लेकर जिलों तक और सरकार में दलित पिछड़े वर्ग की भागीदारी ना के बराबर है
उन्होंंने बताया कि सरकार से विभिन्न जातियों की नाराजगी की जानकारी उनको प्रतिदिन आने वाली फोन कॉल से प्राप्त हो रही है. लोग कह रहे हैं कि योगी सरकार न केवल दलितों पिछड़ों के खिलाफ है, बल्कि यह केवल ठाकुरों की सरकार है. योगी सरकार ने पूरे यूपी में जबरदस्त जातिवाद फैला दिया है जहां ठाकुरों को छोड़कर बाक़ी सभी जातियों के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. संजय सिंह ने कहा कि योगी सरकार की जो एसटीएफ है, लोग उसे स्पेशल ठाकुर फोर्स बोलते हैं. स्पेशल ठाकुर फोर्स लोगों को चुन-चुन कर मार रही है.
संजय सिंह के उक्त बयान में काफी कुछ सच्चाई हो सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी के दिल में अचानक दलितों और पिछड़ों को लेकर इतना प्यार कैसे उमड़ आया है? कहीं ये यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव की पिच तो नही तैयार की जा रही है?
क्या संजय सिंह यह बताने का कष्ट करेंगे कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है वहां पर आप ने शासन से लेकर सत्ता तक, दलित पिछड़े वर्ग को कितनी भागीदारी दी है ? क्या यह भी बता पायेंगे कि दिल्ली राज्य में कितने जिलाधिकारी और महत्वपूर्ण पदों पर कितने अफसर दलित और पिछड़े वर्ग के तैनात हैं? अरविंद केजरीवाल की सरकार मे कितने मंत्री दलित और पिछड़े वर्ग से हैं और उन्हें कितने महत्वपूर्ण विभाग और जिम्मेदारियां दी गई हैं?
क्या संजय सिंह यह बताएंगे कि आम आदमी पार्टी के संगठन में दलितों पिछड़ों को कितना महत्व दिया गया है? अगर हम आम आदमी पार्टी के टाप टेन नेताओं की बात करें तो एक भी नेता दलित या पिछड़े वर्ग से नही है. ऐसी स्थिति में यूपी मे आकर ये दिखावा क्यों?
यूपी में दलित पिछड़ों की हितैषी बनने का दिखावा करने वाली आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा मे कितने दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को भेजा है? आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा की तीन सीटों में तीनों पर सवर्ण को भेजा, तब एक भी दलित या पिछड़ा नही मिला. केजरीवाल ने दो सीट पर अपनी बिरादरी के सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को और एक सीट पर ठाकुर संजय सिंह को राज्यसभा भेजा. तब आम आदमी पार्टी का दलित पिछड़ा प्रेम कहां चला गया था?
हकीकत ये है कि आम आदमी पार्टी यूपी मे 2022 के विधानसभा चुनाव में जातिवाद के शॉर्टकट के सहारे सत्ता में पहुंचने का सपना देख रही है और इसके लिये उसे दलित और पिछड़े वर्ग के लोग साफ्ट टारगेट नजर आ रहें हैं. इसलिये वह यूपी मे दलित और पिछड़ों से हमदर्दी का शिगूफा छोड़ रही है. दलितों पिछड़ों के सहारे वह सत्ता तक पहुंचना चाहती है, लेकिन दिल से दलितों और पिछड़ों का कोई भला नहीं चाहती है. यह बात उसके अबतक के ट्रैक रिकार्ड से पूरी तरह स्पष्ट है.