लखनऊ, लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर रविकांत ने अपने साथ हुई अभद्रता और मारपीट के मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और केन्द्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी शिकायत की है। उन्होंने इसके साथ ही राज्य के आला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीयों के साथ लखनऊ के पुलिस आयुक्त को भी पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रो. रविकांत ने बताया कि बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी में कार्तिक पाण्डेय नाम के छात्र ने उनके साथ अभद्रता की और उनके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें गलियां दी और प्राक्टर ऑफिस के सामने उनपर जानलेवा हमला किया, किसी तरह वह जान बचाकर प्राक्टर ऑफिस पहुंचे।
कुछ दिन पहले भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में प्राक्टर ऑफिस के बाहर उनपर हमला किया गया था। प्रो. रविकांत के साथ की गयी अभद्रता का मामला गरम होता जा रहा है, दलित प्रोफेसर को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन भी सामने आ गए हैं, इन संगठनों ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि जल्दी ही दोषियों के खिलाफ भी मारपीट समेत दलित उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज नहीं की गयी तो बहुजन समाज इस मामले को लेकर आन्दोलन चलाएगा। प्रो. रविकांत ने टीवी डिबेट में ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बंधित जो तथ्य पेश किये वे इतिहासकार सीतारमैया की पुस्तक के उद्दरण के आधार पर थे, वह पुस्तक प्रतिबंधित भी नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने इस मामले का विरोध होने पर प्रकरण को समाप्त करने के मकसद से खेद भी जताया, फिर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में इनके साथ अभद्रता की और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए इनके खिलाफ धरना दिया और एफआईआर भी दर्ज करा दी, जब प्रो. रविकांत ने अपने साथ हुई अभद्रता की शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की। जिसकी वजह से बुधवार को एक बार फिर प्रो. रविकांत पर विवि परिसर में एक छात्र ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले के बाद सामाजिक संगठनों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई ना करने पर आन्दोलन की चेतावनी दी है।