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अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली दिव्यांग दीपिका पैरों से लिख रही अपने भविष्य की इबारत

अमेठी,  उत्तर प्रदेश के अमेठी की रहने वाली दिव्यांग छात्रा दीपिका ने हाथों के अभाव को अपने पैरों से पूरा कर उज्जवल भविष्य की इबारत लिखने की ठान ली है। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले परिवार में जन्मी दीपिका ने गरीबी और दिव्यांगता को राह का रोड़ा नहीं बनने दिया।

यह बात दीगर है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र की निवासी दीपिका को दिव्यांगाें की सहायता के लिये चलायी जा रही तमाम योजनायें दूर की कौड़ी साबित हो रही हैं। दोनो हाथों से दिव्यांग छात्रा दीपिका ने अपने पैरों को ही दो हाथ बना लिया है। पढ़ाई लिखाई से लेकर खाना खाने तक, हाथों से किये जाने वाले सभी काम वह पैरों से ही करती है। इन कठित हालात में उसने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी कर ली है और आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए अपने सपनों की उड़ान पूरी करने के लिये कमर कस ली है।

जिले के जामों विकास खंड के अचलपुर गांव में जन्मी 19 वर्षीय दीपिका जन्म से ही दोनों हाथों से अशक्त है। गांव में ही प्राथमिक शिक्षा से पढ़ने की शुरुआत कर इंटरमीडिएट में उत्तीर्ण होने के बाद अब वह गांव के ही डिग्री कालेज में कला स्नातक (बीए) की पढ़ाई कर रही है।
दिव्यांग सहायता राशि सहित अन्य प्रकार की मदद के लिये दीपिका ने सरकार से मदद मांगी, लेकिन शासन स्तर से अभी तक उसे कोई इमदाद नहीं मिल पाई है। समाज कल्याण विभाग में दिव्यांगाें की मदद के लिये पंजीकृत 31 स्वयंसेवी संस्थायें, जनप्रतिनिधि और खुद सरकार की योजनायें दीपिका की पहुंच से दूर हैं।

दीपिका ने बताया कि उसने अपने पैरों से ही पढ़ाई लिखाई कर अब तक सभी परीक्षायें उत्तीर्ण की हैं। उन्हाेंने बताया कि वह अपने पैरों से ही सारा काम करती हैं। दीपिका ने कहा, “मैं पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। अपने देश का नाम रोशन करना चाहती हूं। कुछ बन कर दिखाना चाहती हूं।”

आर्थिक तंगी का भी दिव्यांगता की तरह ही जीवन की बाधा बताते हुए उन्होंने कहा कि उसके पिता ने पैसे की कमी के बावजूद उसकी पढाई थमने नहीं दी है। उन्होंने कहा कि सरकार से अभी तक किसी योजना का लाभ नही मिला है। सरकार से हम चाहते है। मेरी अच्छी से अच्छी पढाई करने के लिए मेरी मदद हो। सरकार से हम यही दरख्वास्त करते है।

दीपिका के पिता समर बहादुर किसान हैं। उन्होंने कहा कि बेटी को पढ़ने का शौक है और सिर्फ खेती पर निर्भर होने के कारण कभी कभी महसूस करते हैं कि वह बेटी को पूरी क्षमता से पढ़ा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार से हम चाहते हैं कि मेरी बेटी को कम से कम पढ़ाई पूरी करने में सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, जिससे वह अपने पैरों पे खड़ी हो सके।

सरकारी मदद से महरूम रही दीपिका के मामले में अमेठी के जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि दिव्यांगजनों को छात्रवृत्ति सहित अन्य योजनाओं का लाभ उठाने के लिये आवेदन करना होता है। शर्मा ने कहा कि पैरों से सारे काम करने वाली छात्रा दीपिका का मामला उनके संज्ञान में पहले नहीं आया। उन्होंंने कहा कि कि अगर दीपिया ने सरकारी योजनाओं का लाभार्थी बनने के लिये आवेदन नहीं किया होग तो वह अपने स्टाफ को उसके घर भेज कर सहयोग करेंगे।