नई दिल्ली, नवरात्र शुरु हो गए हैं और मां दुर्गा का मनमोहक मूर्तियों के लेकर कारीगर अंतिम स्वरुप देने में जुट गए. हर साल मां की प्रतिमा को लेकर नए नए प्रयोग किए जाते हैं. इस बार भी कुछ ऐसी ही किया गया है. जहां एक और गणेश उत्सव में इको फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ गया है वहीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं को लेकर ईको फ्रेंडली मूर्तियों का प्रयोग जारी है. इस बार भी कुछ ऐसा ही किया गया है.
इसी कड़ी में गोरखपुर के साहबगंज किराना मंडी में इस बार 100 किलो मसूर की दाल से बनी प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. मां दुर्गा का पंडाल स्थापित करन वाले मनीष मद्धेशिया ने बताया कि किराना मंडी में इस बार बैठाई गई मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमा बनाने में भी मसूर की दाल का प्रयोग किया जा रहा है. कलाकार प्रवीण विश्वास गोरखपुर रेलवे स्टेशन के सामने मां दुर्गा की इस भव्य प्रतिमा को बनाने में जुटे हैं.
उन्होनें कहा कि मूर्ति में करीब सौ किलो दाल खर्च हो रही है. चूहा, हंस, सांप से लेकर राक्षस की मूर्ति भी दाल से ही बन रही है. मद्धेशिया ने कहा कि ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं वैसे तो काफी पहले से बन रही हैं, लेकिन, इस बार यह प्रतिमा मां दुर्गा के भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगी. 63 साल के प्रवीण विश्वास पश्चिम बंगाल के नवदीप धाम के रहने वाले हैं. वे 48 साल से गोरखपुर में प्रतिमाएं बना रहे हैं. प्रवीण बताते हैं हैं कि इस बार 55 मूर्तियों का आर्डर मिला है. एक मूर्ति बनाने में 100 किलो मसूर की दाल का प्रयोग किया गया है. मूर्तियों को बनाने में हर्बल पेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मूर्ति का आर्डर देने वाले मनीष मद्धेशिया ने कहा कि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ऐसी मूर्तियां तैयार करवाएं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएं. यही वजह है कि उन लोगों ने इस बार यह तय किया कि वे लोग मसूर की दाल से बनी मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा को स्थापित कर रहे है.