जौनपुर , आदिवासी नेता और महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा के 120वीं शहादत दिवस पर मंगलवार को यहां भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी।
सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी एवं लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओ ने आदिवासी नेता की याद में मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाया और दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी ।
क्रान्ति स्तम्भ पर उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को लिहतु रांची में हुआ था। आदिवासी नेता के मन में विद्यार्थी जीवन से ही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया। मात्र 19 साल की अवस्था में उन्होने बिहार से अंग्रेजो को भगाने के लिए संघर्ष शुरू किया था ।
आदिवासी समाज को शिक्षित करने के लिये आजादी के महान योद्धा ने ताउम्र काम किया। इसके लिए वे अंग्रेजो से लड़ाई लड़ते थे। नाराज़ होकर अंग्रेजो ने मात्र 25 साल की अवस्था में आज ही के दिन सन 1900 में श्री मुंडा को फांसी पर लटका दिया ,आज भी झारखंड और बिहार के आदिवासी श्री मुंडा को अपना भगवान् मानते हैं ।