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श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने, अपने पद से दिया त्यागपत्र, बताया ये कारण

अमृतसर, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने गुरुवार रात अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने अपने त्यागपत्र में कहा कि कुदरत के नियम अनुसार बड़ी उम्र और इससे जुड़ी स्वास्थ्य की कुछ दिक्कतों के कारण वह अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में असमर्थ है। उन्होंने  खालसा पंथ, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान और कार्यकारिणी से कहा कि इस पद पर योग्य व्यक्ति को नियुक्त कर उन्हें पद से मुक्त किया जाए।

ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि उन्होंने हमेशा खालसा पंथ की सेवा की है और करते रहेंगे। उन्होंने समूचे खालसा पंथ से क्षमा याचना करते हुए कहा कि उन्होंने लगातार दस वर्षों तक इस महान तख़्त की सेवा की है। जिसके लिए उनका रोम -रोम समूचे खालसा पंथ का ऋणी है। समूचे खालसा पंथ ने एकता का सबूत देते हुए श्री अकाल तख़्त साहब जी की रहनुमाई में दविन्दरपाल सिंह भुल्लर और भाई बलवंत सिंह राजोआना को फांसी के तख़्ते से बचाने के लिए संघर्ष किया है।

उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख़्त साहब का सेवक होने के नाते इस लंबे समय दौरान बहुत सी राष्ट्रीय समस्याओं और गुरु ग्रंथ और पंथ को गंभीर चुनौतियां देने वाले मामले भी श्री अकाल तख़फ़त साहब जी के सम्मुख आए जिनका निपटारा पंथक रीत अनुसार किया गया। मुझे मान है कि समूह सिख संस्थायों, संप्रदायों और खालसा पंथ ने गुरू तख़्त से जारी सिंह साहबानों के फ़ैसले स्वीकृत किये और इन पर डटकर पहरा दिया।

डेरा सिरसा प्रमुख राम रहीम सिंह को माफी देने के फैसले के संबंध में उन्होंने कहा कि खालसा पंथ की भावनायों का सत्कार करते हुए सिंह साहबानों की राय से दिए गए फ़ैसले को वापस ले लिया गया।