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हाटॅ स्पाट क्षेत्रों मे संदिग्धों का पता लगाने के लिए, सरकार ने बदली रणनीति ?

नयी दिल्ली,  केन्द्र सरकार ने कहा है कि हाटॅ स्पाट के जितने भी क्षेत्र हैं उनमें संदिग्धों का पता लगाने के लिए सरकार अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है और सिर्फ उन्हीं लोगों के परीक्षण किए जा सकते हैं जिनमें फ्लू जैसे लक्षण दिखेंगे।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने रविवार को यहां एक सवाल के जवाब कहा कि हॉट स्पाट के जितने भी क्षेत्र हैं उनमें फ्लू जैसे लक्षणों और ‘सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इलनेस’(सारी) के मरीजों को इस तरह के टेस्ट की पेशकश की जाएगी और इसका मकसद कोरोना के मरीजों का पता लगाना है।

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ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के चाडोक्सवन वैक्सीन के कोरोना वायरस संक्रमण में कारगर होने संबंधी दावों के बारे में श्री गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित करने के लिए विश्व में 70 अलग समूह शोध कर रहे हैं और ऑक्सफोर्ड में भी ऐसे पांच समूह हैं जो इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इस वैक्सीन का जानवरों पर ट्रायल पूरा हो चुका है और इसके साइड इफैक्टस भी अधिक नहीं है और उनकी योजना मानवों पर परीक्षण की है। इस काम को इसी माह में शुरू किया जा रहा है और इसके लिए वालंटियर्स की भर्ती भी कर ली गई है तथा इसके नतीजे छह माह से भी कम अवधि में आने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि देश में अब तक कोरोना के 386791 टेस्ट हो चुके हैं और कल 37173 परीक्षण हुए थे जिनमें से 29287 आईसीएमआर की 82 प्रयोगशालाओं और 7886 परीक्षण निजीं क्षेत्र की 82 प्रयोगशालाओं में किए गए थे।

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