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भाषाओं को लेकर लोकसभा में सरकार ने स्पष्ट किया अपना नजरिया

नयी दिल्ली, भाषाओं को लेकर लोकसभा में सरकार ने अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है।

मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने  लोकसभा में कहा कि सरकार संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त बनाना चाहती है और इसके लिए वह सभी भाषाओं का विकास करेगी।

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केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुये श्री निशंक ने कहा “यह हिंदुस्तान है। यहाँ न जाति का, न भाषा का, न पंथ का विवाद है। हम छोटी बातों में उलझकर नहीं रह सकते। यह भाषा की बात नहीं है। यह उस संपदा की बात है जिसके कारण हम विश्व गुरु रहे।” बाद में सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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द्रविड़ मुनेत्र कषगम् के ए. राजा ने चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी बताये जाने का विरोध करते हुये कहा था कि वह किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी एक भाषा को अन्य भाषाओं पर तरजीह नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि तमिल साढ़े चार हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है।

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श्री निशंक ने आश्वस्त किया कि चाहे तमिल हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, कन्नड़ हो, गुजराती हो या मराठी, सरकार सभी भाषाओं का विकास करेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा में यदि ज्ञान का भंडार है तो हमें उसका उपयोग करना चाहिये।

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विधेयक के जरिये तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाना है। ये विश्वविद्यालय हैं – राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली; श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नयी दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नयी दिल्ली।

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