लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को योगी सरकार के धर्मांतरण कानून को मंजूरी प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसके बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया था। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह कानून प्रभावी हो गया है। अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।
नये कानून के मुताबिक अलग अलग धर्मो के युवक युवती को विवाह के लिये दो माह पहले जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी जिसके बाद वह विवाह कर सकते हैं। बगैर अनुमति विवाह करने वाले युगल को छह माह से तीन साल की जेल और कम से कम दस हजार रूपये जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
नाम और धर्म छिपाकर विवाह करने वालो के लिये दस साल की कैद का प्रावधान अध्यादेश में रखा गया है। इसके अलावा कानून का उल्लघंन अथवा धर्मांतरण के मामले में पांच साल की जेल और 15 हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान है। नाबालिग अथवा अनुसूचित जाति.जनजाति की लड़की से विवाह रचाने वालो को तीन से दस साल की कैद और न्यूनतम 25 हजार रूपये का जुर्माना देना होगा। बड़ी संख्या में धर्मांतरण के मामले में तीन से दस साल की जेल और न्यूनतम 50 हजार रूपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।