नई दिल्ली, कोरोना से जारी जंग के खिलाफ बड़ी खुश खबरी है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कोरोना के इलाज के लिए एक दवा के इमरजेंसी प्रयोग को मंजूरी दे दी है। इस दवा का नाम 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) नाम दिया गया है।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने शनिवार को ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) दवा से कोरोना के इलाज को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। कोरोना संक्रमित मरीज के लिए यह एक वैकल्पिक इलाज होगा। जिन मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया गया, उनकी RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आई। ये दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण की ग्रोथ रोककर उन्हें तेजी से रिकवर करने में मदद करती है।
यह दवा न तो टैबलेट के रूप में है और नहीं इंजेक्शन के रूप में। यह पाउडर के रूप में आती है। पाउडर को पानी में घोलकर लिया जाता है। दवा लेने के बाद जब ये शरीर में पहुंचता है तो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरस को बढ़ने से रोकती है। डीआरडीओर की माने तो यह दवा कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करती है फिर अपना काम शुरू करती है। दवा को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा कोरोना मरीजों के लिए रामबाढ़ साबित हो सकती है। खासकर ऐसे समय में जब मरीजों को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिक के अनुसार, किसी भी वायरस की ग्रोथ होने के लिए ग्लूकोज का होना बहुत जरूरी है। जब वायरस को ग्लूकोज नहीं मिलेगा, तब उसके मरने के चांसेस काफी बढ़ जाते हैं। इसलिये वैज्ञानिकों ने लैब ने ग्लूकोज का एनालॉग बनाया, जिसे 2डीआरसी ग्लूकोज कहते हैं। इसे वायरस ग्लूकोज समझकर खाने की कोशिश करेगा, लेकिन यह ग्लूकोज होगा नहीं। इस वजह से उसकी तुरंत ही वहीं मौत हो जाती है। यही दवा का बेसिक सिद्धांत है।
देश में कोरोना वायरस की पहली लहर सामने आने के बाद ही डीआरडीओ इस दवा पर काम करना शुरू कर दिया था। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2020 में लैब में इस दवा पर रिसर्च किए थे। रिसर्च में पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों के लिए मददगार साबित हो सकती है। जिसके बाद डीसीजीआई ने मई 2020 में दवा के दूसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी दी। अनुमति मिलने के बाद अलग-अलग हिस्सों में कुल 11 अस्पतालों में ट्रायल किया गया। मई से अक्टूबर तक चलने वाले इस ट्रायल में यह बात सामने आई कि जिन मरीजों को यह दवा दी गई वो बाकी मरीजों की तुलना में कोरोना वायरस से जल्दी रिकवर हो गए। आम मरीजों की तुलना में ट्रायल में शामिल मरीज लगभग 2.5 दिन पहले ठीक हो गए।
वहीं, तीसरे फेज का ट्रायल दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच देशभर के 27 अस्पताल में किया गया। इस बार के ट्रायल में मरीजों की संख्या दोगुनी कर दी गई और दिल्ली, यूपी, गुजरात, राजस्थान समेत कई राज्यों के मरीजों को शामिल किया। तीसरे फेज के ट्रायल के दौरान जिन लोगों को यह दवा दी गई उनमें से 42 फीसदी मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन ही खत्म हो गई। दूसरी जिनको यह दवा नहीं दी उनमें 31 फीसदी मरीज ऐसे रहे जिनकी ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हुई। जिसके अनुसार, दवा ने मरीज की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम किया।
2-DG दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी की मदद से तैयार किया है।