नई दिल्ली, चीन के एक अनुसंधानकर्ता ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया के पहले ऐसे बच्चों को पैदा करने में भूमिका निभाई है जिनके जीन में बदलाव किया गया है. उन्होंने बताया कि इस महीने जन्मीं जुड़वां बच्चियों के डीएनए एक नए तरीके से बदलने में सफलता हासिल हुई है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे नए सिरे से जीवन को लिखा जा सकता है. अगर यह दावा सही है तो विज्ञान के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम होगा.
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दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग पर चिंता जताते हुए इसे विज्ञान और नैतिकता के खिलाफ प्रयोग बताया है, क्योंकि इससे भविष्य में ‘डिजाइनर बेबी’ जन्म ले सकते हैं. यानी बच्चे की आंख, बाल और त्वचा का रंग ठीक वैसा होगा, जैसा उसके माता-पिता चाहेंगे. वहीं, इस तकनीक के विकसित होने तक इसे रोकने की गुहार लगाई गई है, जिससे इस प्रयोग के खतरनाक परिणाम सामने न आएं.
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एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि उन्होंने चीन में हुए इस अनुसंधान कार्य में भाग लिया. अमेरिका में इस तरह के जीन-परिवर्तन प्रतिबंधित है क्योंकि डीएनए में बदलाव भावी पीढ़ियों तक अपना असर पहुंचाएंगे और अन्य जीन्स को नुकसान पहुंचने का खतरा भी पैदा हो सकता है.कई वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह का प्रयोग करना बहुत खतरनाक है. कुछ वैज्ञानिकों ने इस खोज की कड़ी आलोचना की है.
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शेनझान के अनुसंधानकर्ता ही जियानकुई ने कहा कि उन्होंने सात दंपतियों के बांझपन के उपचार के दौरान भ्रूणों को बदला जिसमें अभी तक एक मामले में संतान के जन्म लेने में यह नतीजा सामने आया. उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी वंशानुगत बीमारी का इलाज या उसकी रोकथाम करना नहीं है, बल्कि एचआईवी, एड्स वायरस से भविष्य में संक्रमण रोकने की क्षमता इजाद करना है जो लोगों के पास प्राकृतिक रूप से हो.
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जियानकई ने कहा कि इस प्रयोग में शामिल माता-पिताओं ने अपनी पहचान जाहिर होने या साक्षात्कार देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह यह भी नहीं बताएंगे कि वे कहां रहते हैं और उन्होंने यह प्रयोग कहां किया. हालांकि, अनुसंधानकर्ता के इस दावे की स्वतंत्र रूप से कोई पुष्टि नहीं हो सकी है और इसका प्रकाशन किसी पत्रिका में भी नहीं हुआ है जहां अन्य विशेषज्ञों ने इस पर अपनी मुहर लगाई हो. उन्होंने मंगलवार को शुरू हो रहे जीन-एडिटिंग के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजक से सोमवार को हांगकांग में बातचीत में इसका खुलासा किया.
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी मजबूती से इस जिम्मेदारी को महसूस करता हूं कि यह प्रयोग केवल पहला होने का तमगा ही हासिल नहीं करे, बल्कि एक मिसाल भी बने.’’इस तरह के विज्ञान को अनुमति देने या रोक देने के संबंध में जियानकई ने कहा कि भविष्य के बारे में समाज फैसला करेगा. कुछ वैज्ञानिक इस खबर को सुनकर ही स्तब्ध थे और उन्होंने इस प्रयोग की आलोचना की.
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