नयी दिल्ली, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बहाने पत्रकारों को जबरन छुट्टी पर भेजने, वेतन भत्तों में कटौती और नौकरी से निकाले जाने की कथित
घटनाओं के खिलाफ गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई।
तीन संगठनों ने शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर करके इस मामले में हस्तक्षेप करने का उससे अनुरोध किया है।
याचिका दायर करने वाले संगठनों में नेशनल एलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स तथा बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ
जर्नलिस्ट्स शामिल हैं।
संयुक्त रूप से दायर इस रिट याचिका में मीडिया संगठनों ने कहा है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बहाने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों
को जबरन छुट्टी पर भेजने वेतन भत्तों में कटौती करने तथा नौकरी से निकाले जाने का मीडिया संगठनों का एकतरफा निर्णय अनुचित और
गैरकानूनी है।
याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार, इंडियन न्यूजपेपर्स सोसायटी और न्यूज़ बोर्डकास्टर्स एसोसिएशन को प्रतिवादी बनाया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्राइवेट मीडिया संगठनों ने पत्रकारों को हटाने और वेतन भत्तों में कटौती करने का फैसला लेकर
मानवता को ही नहीं शर्मसार किया है बल्कि किसी को भी नौकरी से ना निकालने या वेतन में कटौती ना करने की प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की अपील का भी उल्लंघन है।
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