उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सोशल मीडिया पर अपना जाल फैला रखा है। आईएसआई के लोग फर्जी फर्जी आईडी से सेना के जवानों, युवाओं को फंसा कर उनका उपयोग सूचनाएं एकत्र करने में कर रहे हैं। इनमें अधिकतर महिलाएं हैं। यह फैसला पिछले रोज एक घटना के बाद लिया गया।
जब 19 सितंबर को दिल्ली के एक बीएसएफ जवान को महिला आईएसआई एजेंट के साथ गोपनीय सूचनाएं साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दरअसल बीएसएफ का यह जवान हनी ट्रैप का शिकार हुआ था। महिला खुद के डिफेंस रिपोर्टर होने का दावा कर रही थी। वॉट्सऐप पर बातचीत के दौरान बीएसएफ के जवान ने उसे अकैडमी की संवेदनशील सूचनाएं, तस्वीरें और 3 डी मॉडल के साथ हथियार-गोला बारूद की सूचनाएं दी थीं।
आईजी एटीएस असीम अरुण ने कहा, ‘हमने अधिकारियों, सेना और सुरक्षा जवानों की मदद करने का फैसला लिया है जो हनी ट्रैप में फंसाए और गोपनीय सूचनाएं साझा करने के लिए ब्लैकमेल किए जा रहे हैं। ई-मेल आईडी और हेल्पलाइन नंबर 24×7 घंटे काम करेगी और मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी करूंगा।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि संदिग्ध लोगों के बारे में एटीएस को जानकारी देने वाले आम लोगों की पहचान को गुप्त रखा जाएगा।