आईएचजीएफ दिल्ली मेले में, माणा गांव के पंखीशाल और खेस को मिला नया रूप
October 18, 2019
ग्रेटर नोयडा, उत्तराखंड में चीन की सीमा से लगे चमोली जिले के माणा गांव के परंपरागत पंखी शाल तथा खेस जैसे उत्पादों को देश और विदेश तक पहुंचाने के लिये उनको नया स्वरुप दिया गया है तथा उन्हें यहां चल रहे आईएचजीएफ-दिल्ली मेले में प्रदर्शित किया गया है।
माणा गांव के उत्पादों पर आधारित एक फैशन शो का गुरुवार को मेले में आयोजन किया गया जिसमें माडलों ने इस गांव के कारीगरों के बनाए उत्पादों को पहन कर रैंप वॉक किया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मौजूद थे। माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में 3ए200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैण् जो माणा पास ;दर्रे से पहले चीन की सीमा से महज 24 किलोमीटर पहले भारत का अंतिम गांव है। यहां के बासिंदे भोरतिया समुदाय की आखिरी पीढ़ी हैं।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि माणा गांव के शिल्पकार कच्चे ऊन से पंखी.शॉलए खेसए ऊनी कपड़े जैसे उत्पाद तैयार करते हैं जो टिकाऊए मुलायम या लचकदारए इको फ्रेंडली होते हैं। परिषद के डिजाइनरों के मार्गदर्शन में इन कच्चे माल और माणा के कारीगरों की बारीकियों को बाड़मेर की महिला कारीगरों के हाथ की शिल्पकारी कौशल को जोड़ा गया है ताकि उत्पादों की एक रेंज तैयार हो सके और साथ ही दोनों तरफ कई नए उत्पादों की संभावनाएं भी पैदा हों।
माणा गांव से चुने गये 10 मास्टर शिल्पकारों के सामान्य उत्पादों जैसे कि पंखी शॉलए खेस को खास फैशन उत्पादों में तब्दील किया गया और ऊनी कोट, शॉल, टोपी, पोंचो, श्रगए पर्स तैयार किये गये। साथ ही उन्हें इस मेले में अपने नए विकसित उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए जगह दी गई ताकि अंतरराष्ट्रीय खरीद समुदाय के साथ सीधी बातचीत कर वे अपने सीधे बिजनेस संपर्क बना सकें। श्री राकेश कुमार ने कहा कि आईएचजीएफ.दिल्ली मेले जैसे आयोजनों के जरिए मार्केट लिंक बनने से निश्चित ही विश्व बाजार में माणा गांव के मौलिक उत्पादों की मांग में इजाफा होगा।