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एक मस्जिद में एक मर्द के एतकाफ को पूरे मोहल्ले का माना जाएगा

देवबंद, देवबंदी मसलक के मुस्लिमों के केंद्र दारूल उलूम के मोहतमिम (चांसलर) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी ने कहा कि एक मस्जिद में एक मर्द के एतकाफ को पूरे मोहल्ले का मान लिया जाएगा।

श्री नोमानी ने आज जारी अपने एक महत्वपूर्ण ब्यान में मौजूदा हालात में मुसलमानों के धार्मिक फर्जो की अदायगी के विषय में कहा कि मुस्लिम मर्दों के लिए घरो पर एतकाफ मस्जिद में एकांत में रहकर इबादत करना जायज नहीं है और देशबंदी के चलते मस्जिदों में तीन-चार से ज्यादा लोगोे के इकट्ठा होने की कानूनन मनाही है। ऐसी सूरत में एक मोहल्ले का कोई भी एक मर्द मस्जिद में एतकाफ कर सकता है। उसको पूरे मोहल्ले की ओर से किया हुआ माना जाएगा।

इस्लाम के जानकार और खुद भी मुफ्ती का कोर्स करने वाले दारूल उलूम के प्रमुख मुफ्ती श्री नोमानी ने नई परिस्थितियों में मुसलमानो का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाएं घरो में रहकर एतकाफ कर सकती है। उन्होंने कहा कि शरीयत के अनुसार मर्दों का घरो पर एतकाफ करना जायज नहीं होता है।

उन्होंनेे कहा कि शरीयत और देश के नियम और कानूनो को ध्यान में रखकर ही यह निर्देश जारी किया है कि एतकाफ हर मुस्लिम मर्द के लिए करना आवश्यक नहीं है। किसी मोहल्ले के एक व्यक्ति के मोहल्ले की मस्जिद में रमजान माह के अंतिम 10 दिनों में बैठकर इबादत करने से इस्लाम के निर्देशों का भी पालन हो जाएगा और कानून व नियम भी नहीं टूटेेंगे।

देवबंद में बडी सख्या में मुस्लिम मस्जिदो में एतकाफ करते है। देवबंद और जिले की ज्यादातर
मस्जिदो और मदरसो में कोरोना संक्रमित छात्र एवं तब्लीगी जमात के लोगो के मिलने से उन्हें सेनेटाइज कर सीज किया हुआ है। ऐसे में बहुत कम लोग ही इस बार एतकाफ में बैठ पाएंगे।