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एक आईएएस टापर के संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी, उन्ही की जुबानी

हौसले बुलंद हो तो कठिन मंजिल भी हो जाती है आसान : प्रतिभा वर्मा

लखनऊ, एक आईएएस टापर के संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी, उन्ही की जुबानी सुनने से आज की दुनिया के कई अनछुये पहलूओं की सहज ही जानकारी हो जाती है। उत्तर प्रदेश में सुलतानपुर जिले के एक छोटे से गांव से निकल कर आईएएस बनने के जुनून के साथ दिल्ली जैसे बड़े शहर में जाकर बसी प्रतिभा वर्मा के संघर्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) 2019 परीक्षा में देश में तीसरा स्थान हासिल करने वाली प्रतिभा वर्मा का मानना है कि सामाजिक और सुरक्षा के मोर्चे पर आज भी बेटियों के लिये काफी चुनौतियां है लेकिन अगर लक्ष्य प्राप्ति का इरादा मजबूत हो तो कठिन मंजिल भी आसान लगने लगती है।

उत्तर प्रदेश में सुलतानपुर जिले के एक छोटे से गांव से निकल कर आईएएस बनने के जुनून के साथ दिल्ली जैसे बड़े शहर में जाकर बसी प्रतिभा ने इससे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की परीक्षा पास की थी जिसके बूते उन्हे आयकर विभाग में सहायक आयुक्त की नौकरी मिली। इसके बावजूद उन्होने आईएएस बनने के सपने काे कमजोर नहीं होने दिया और आखिरकार 2019 में उन्होने यह लक्ष्य पूरी शान के साथ हासिल किया। वह वरीयता क्रम में तीसरे स्थान पर रही जबकि महिलाओं में अव्वल थी।

प्रतिभा ने अपने अनुभव साझा करते हुये कहा कि बेटियों के लिए अभी भी यह दुनिया मुश्किल है पर इसका सामना करना ही पड़ेगा। तभी बेटियां बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकेंगी। बेटियों के लिए आगे बढ़ने में आज सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है।

उन्होने कहा कि प्राथमिक और इंटरमीडियेट तक की पढ़ाई गांव मे पूरा कर 2010 में उन्होने सुलतानपुर छोड़ दिया। एक दशक घर परिवार से दूर अपने लक्ष्य के लिए किताबों और शिक्षा के मंदिरों में साधनारत रही। वर्ष 2018 में आईएएस की परीक्षा देने से पहले अनुभव के लिए प्रतिभा ने वोडाफोन की कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्य किया। 2018 में आईआरएस के नाते सहायक आयुक्त इनकम टैक्स बनी। इस पद पर कार्य करते हुए दृढ़ निश्चय के साथ फिर आईएएस की परीक्षा दी और इस बार देश में तीसरे स्थान पर रही जबकि महिला वर्ग में देश में पहले स्थान की रैंकर बनी।

इन दिनो अपने गृह जिले सुलतानपुर के बघराजपुर गांव में माता-पिता के साथ रह रही प्रतिभा ने बताया कि बेटियों के लिए बहुत समस्याएं हैं समाज में, जो बेटों को नहीं झेलनी पड़ती हैं। बेटा और बेटी में शिक्षा का अधिकार बराबर नहीं है। “ यह अधिकार हमें इसलिए मिला कि हमारा परिवार आगे की सोच रखने वाला और खुले विचार का है। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा बेटियों के लिए सुरक्षा का है जो मैंने खुद भी फेस किया था। बाहर निकल रही हूं मेरे साथ कुछ भी गलत ना हो। यह बेटियों को हर दिन फेस करना पड़ता हैं। वे गलत हरकतों का शिकार हुई होती है। इस सब के बावजूद बेटियों को अपना मनोबल आगे रखना है कि मैं समाज में आगे बढूंगी।”


आईएएस टापर ने कहा “ इन सब परिस्थितियों का भी सामना करके अगर आप आगे बढ़ती है और अपने स्वतंत्र बनने के स्तर तक पहुंचती है। आपके अंदर इतनी शक्ति आ जाए कि आप सामने वाले को रोक सको। यह हिम्मत तभी आती है जब आप खुद पढ़ती हो, अपने अधिकार को समझ पाती हो और आपके पास बोलने की क्षमता हो। इन तमाम परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा तभी ऐसा मनोबल अपने आप में आता हैं। सारी कठिनाइयों का सामना करने के बाद ही लोग ऊंचाईयों तक पहुँचते हैं।”

माता-पिता और बेटियों में विश्वसनीयता के सवाल पर प्रतिभा ने कहा “ जिस तरह से अभिभावक बेटों पर विश्वास रखता है। उसके लिये बेटियों को भी मेहनत करनी पड़ेगी। उस विश्वास को अपनी तरफ से सच्चा रखना होगा। मेरे साथ भी यही हुआ जब मेरे माता-पिता मुझ पर विश्वास करते हैं तो उसी तरह मैं भी उन्हें प्रतिदिन की गतिविधियों को बताती थी कि आज मेरे साथ ऐसा हुआ और मैंने उसे ऐसे हैंडल किया। इससे मेरे माता पिता का भी विश्वास बढ़ता था कि उनकी बेटी अनेक परिस्थितियों के प्रति मजबूत हो रही है। सामान्य तौर पर माता पिता के साथ अपनी व्यक्तिगत बातें रखने में कुछ दूरियां होती हैं। इससे माता पिता और बेटियों में विश्वास कम होता है। इस विश्वास को बनाए रखने के लिए तरीका यह है कि अपनी व्यक्तिगत बातों को भी माता-पिता से जरूर शेयर करते रहना चाहिए। ”

लक्ष्य प्राप्ति के सवाल पर उन्होेने कहा “ सबको अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं में जाने की इच्छा रखने वाले छात्र को मेरा सुझाव है कि हाईस्कूल, इंटरमीडिएट की शिक्षा के दौरान ही अपने रूचि के विषय को तय करें जिसके अनुसार वह आगे की पढ़ाई करेंगे। कोई भी विषय गलत नहीं है। सभी विषय आगे को ले जाते हैं। जब आप अपनी रूचि के अनुसार विषय तय कर ले तब आप अपना लक्ष्य तय करें।”

उन्होने कहा “ फिर आप इस क्षेत्र के सफल तमाम लोगों के बारे में पढ़े, मैं स्वयं भी यही करती थी। मैंने कई ‘सिविल सर्वेंट’ की बायोग्राफी पढ़ी है। इससे अनुभव होता था कि उन लोगों ने बहुत अच्छे-अच्छे कार्य किए हैं और मुझे भी यही करना है। आप जिस भी क्षेत्र में जाना चाहते हैं उस क्षेत्र के दिग्गज लोगों के बारे में पढ़िए कि उनकी जिंदगी कितनी कठिनाइयों से गुजरी है और उन्होंने उसका सामना कैसे किया है। उन्हीं से प्रेरणा लिया जा सकता है। जब आप ऐसे लोगों से प्रेरणा लेने लगते हैं तो आपको खुद भी अच्छा लगने लगता है। अगर कठिनाइयां आती भी है तो आपको यह पता भी है कि लक्ष्य प्राप्ति यानी सफलता के बाद कितना मजा आता है। जब आप इसे अनुभव करते हैं तो यह कठिनाइयां आप के अनुभव का हिस्सा बनती जाती है और जब आप इसका आनंद लेने लगते हैं तो आपको सारी चीजें आसान लगने लगती है।”

आईएएस परीक्षा में अंग्रेजी भाषा के प्रभाव के सवाल पर प्रतिभा वर्मा कहती है कि अंग्रेजी भाषा का इस परीक्षा में बहुत बड़ा प्रभाव नही हैं। ऐसा नहीं है कि जिन्होंने अंग्रेजी नहीं पढ़ी वह परीक्षा नहीं पास कर सकते हैं। हिंदी में भी बहुत सारे लोगों ने इस परीक्षा को अच्छे से पास किया है। संस्कृत और उर्दू की बात करें तो मेंस की परीक्षा में यह वैकल्पिक विषय होता है, अगर आपने संस्कृत और उर्दू में महारथ हासिल की है और आपको इस पर पूरा कमांड है तो आप इस विषय का भरपूर उपयोग कर अच्छे अंक हासिल कर सकते हैं। अंग्रेजी परीक्षा का माध्यम है और थोड़ा सा पाठ्य सामाग्रियां अंग्रेजी में कुछ ज्यादा उपलब्ध है। इससे थोड़ा सा ज्यादा फायदा हो सकता है लेकिन अगर हिंदी के स्टूडेंट अपना ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान देते हैं और ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस और रिवाइज करते है तो इस परीक्षा को अच्छे ढंग से पास कर सकते हैं।

सिविल सर्विसेज में पाठ सामग्रियों के बारे में प्रतिभा वर्मा ने बताया कि एनसीईआरटी की अधिकांश किताबें इस परीक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है जिसमें इतिहास, भूगोल और इकोनॉमी करेंट अफेयर और नौवीं कक्षा की बेसिक क्वालिटी की किताब जो आंसर राइटिंग में बहुत हेल्पफुल होती है। इसके अलावा कक्षा 11 व 12 की सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण और विज्ञान से संबंधित किताबें पढ़ें। साइंस एंड टेक्नोलॉजी और एनवायरमेंट आता है जिसके लिए आप पूरी दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे आ के लिए करंट अफेयर से पढ़ें।

इसके अलावा प्रतिदिन अखबारों का पढ़ना और सरकार की योजनाओं की पुस्तकें अत्यंत उपयोगी साबित होती हैं। मै रोजाना दो घंटे अखबार पढ़ती थी और सरकार की ओर से प्रकाशित योजना के नाम की किताबों का नियमित अध्ययन कर काफी लाभ लिया है। एक आईएएस अधिकारी के तौर पर आने वाली भ्रष्टाचार सहित अनेक चुनौतियों के एक बड़े सवाल पर प्रतिभा वर्मा कहती है कि वास्तव में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है लेकिन इस गतिविधि में कुछ ही पब्लिक सवेंट शामिल होते हैं।

पब्लिक के साथ संबाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान करना भी एक बड़ी चुनौती है। दूसरा यह है कि एक महिला नेतृत्व को लोग आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे में अपनी काबिलियत साबित करना भी एक बड़ी चुनौती है, पर इसके लिए हमने अपने से पहले तमाम दिग्गजो को पढ़ा है उन्होंने जिस तरह से चुनौतियों को स्वीकार कर अपने को साबित किया है, वही हमारे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। पावर और अधिकार सहित अनेक तरीके के टूल्स का उपयोग कर काबिलियत साबित करने का हर संभव प्रयास किया जायेगा। मुझे लगता है ट्रेनिंग में मुझे यही सब सीखने को मिलेगा। काम करते समय साथ के लोग और सरकार सकारात्मक हो तो समाज में काम करना और भी आसान हो जाता है, जिससे जनता का भला हो।

प्रतिभा ने बताया कि उनके साक्षात्कार में करीब 25 सवाल पूछे गए थे। इस दौरान कई बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और सवालों पर क्रास सवाल भी हुए। इसमें सबसे यादगार एक प्रश्न पूछा गया था कि कोरोना काल में देश में पॉजिटिव क्या हुआ हैं। यह प्रश्न लोगों के लिए अजीब था कि इसमें तो सब कुछ बंद हो गया है लेकिन मेरा जबाब था कि अभी तक स्वास्थ्य सेवाओं पर इतना ध्यान नहीं दिया जा रहा था जितना इन दिनों दिया जा रहा है। इससे लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है और लोग हर जगह पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की अपेक्षा करने लगे हैं।

इसने सभी को यह एहसास करा दिया है कि यदि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ गांव स्तर तक न पहुंचीं तो लोगो का जीना कितना मुश्किल होगा। यह इसका सकारात्मक पहलू है। दूसरा प्रदूषण कम हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली शहर में सांस लेना भी मुश्किल था। पहली बार दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का मानक अच्छा बताया गया हैं। डिजिटल एजुकेशन पर भी बहुत जोर दिया जाने लगा है। अब इस पर इतना ध्यान दिया जा रहा है कि यह व्यवस्था हर गांव व हर बच्चे तक पहुंचे। अभी तक यह सम्पन्न परिवारों तक ही सीमित था मगर अब इसे सरकार गरीबों तक भी पहुंचाने का प्रयास कर रही है।