अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष- योग के बल पर, सौ साल की उम्र
June 20, 2018
इलाहाबाद, ईश्वर ने गर्भ से लेकर मरने तक योग की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन मनुष्य गर्भासन और शवासन को छोड़कर बाकी के आसन भूलता चला गया। ऐसे में विश्व योग दिवस आज के समय में योग के महत्व को पुनः याद दिलाता है।
योगाचार्य बतातें हैं, “हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ को मात्र तीन आसनों- सर्वांगासन, भुजंगासन और पश्चिमोत्तासन के जरिए संतुलित रखा जा सकता है। इसे त्रिकुटासन कहते हैं और यदि ये त्रिदोष (वात, पित्त कफ) संतुलित अवस्था में रहें तो हमें कोई बीमारी होगी ही नहीं।
योग में ऐसी ऐसी मुद्राएं हैं जिनके बल पर अपनी छठी इंद्रीय को जागृत किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए सतत अभ्यास की जरूरत पड़ती है। खेचरी मुद्रा, वज्रोली मुद्रा जैसी मुद्राएं व्यक्ति को अमरत्व के करीब ले जाती हैं। सही मायने में एक योगी अपनी इच्छा से मृत्यु को प्राप्त होता है।
सबसे कठिन आसनों- योग बद्र आसन, विस्तृत शरीर वक्षभू स्पर्श आसन, गर्भ आसन, योग निद्रासन, गरुड़ासन आदि में निपुण योगाचार्य का कहना है कि योग निद्रासन में व्यक्ति 15 मिनट में 8 घंटे की नींद ले सकता है।