लखनऊ, साधु संतों का कहना है कि पिछले 300 सालों के इतिहास में यह पहला मौका है जब जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा राम की तपोभूमि नहीं निकाली गई।
उत्तर प्रदेश में मर्यादा पुरूषोत्तम की तपोभूमि चित्रकूट मे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा स्थगित किये जाने को लेकर श्रद्धालुओं ने आक्रोश और मायूसी देखने को मिली।
साधु संतों का कहना है कि पिछले 300 सालों के इतिहास में यह पहला मौका है जब जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा राम की तपोभूमि नहीं निकाली गई। नौ दिन तक चलने वाली यह यात्रा अढाई कोस तक जाती है। इसी यात्रा के चलते लोकप्रिय कहावत “ नौ दिन चले अढ़ाई कोस ” का जन्म हुआ है।
चित्रकूट के तरौहा कस्बे में स्थित जयदेव दास अखाड़ा से यह यात्रा प्रारंभ होती थी और 9 दिन तक यह यात्रा रुकते रुकते वापस अखाड़े में पहुंच जाती है। यात्रा के समापन के बाद महंत विशाल भंडारे का आयोजन करते थे। फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण सरकार की गाइडलांइस के चलते भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा नहीं निकाली गई।