पक रही सामाजिक न्याय की खीर, उपेन्द्र कुशवाहा ने यादवों से दूध मांगकर, बीजेपी को दिया बड़ा झटका
August 26, 2018
पटना, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के अगले आम चुनाव में एक नए समीकरण ‘खीर’ से बिहार राजग के घटक दलों भाजपा, जदयू और लोजपा को बड़ा झटका लगा है।
उपेन्द्र कुशवाहा ने एक कार्यक्रम में कहा कि अगर यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियो का चावल मिल जाये तो खीर बन सकती है। उन्होंने कहा कि लेकिन खीर के लिए छोटी जाति एवं दबे-कुचले समाज का पंचमेवा भी चाहिए तथा चीनी भी पंडित जी :ब्राहमण समुदाय: के यहां से मिल जाएगी और तुलसी चौधरी जी :रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी: के यहां से तब जो खीर जैसा स्वादिष्ट व्यंजन बन सकता है। यही सामाजिक न्याय की परिभाषा है और सोशल जस्टिस के मसीहा बीपी मंडल भी ऐसी ही व्यवस्था चाहते थे।
उपेन्द्र कुशवाहा ने सामाजिक न्याय की ये नई परिभाषा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी के बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह पर पटना में एक कार्यक्रम में दी। उन्होने सामाजिक आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी मंडल कमीशन में 27 प्रतिशत का आरक्षण पूरा नही मिल रहा है क्योंकि कुछ लोग गलत मंशा के इसे पूरा नही होने दे रहे हैं ।
राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने ट्वीट कर केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र के उक्त बयान पर कहा कि नि:संदेह उपेन्द्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की ज़रूरत है। पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।
जब मैंने उस व्यक्ति को मरते देखा, जिसने मेरे पिता को मारा तो….- राहुल गांधी
तेजस्वी प्रसाद यादव उपेंद्र कुशवाहा को अपने महागठबंधन में शामिल होने का इससे पहले भी कई बार न्योता दे चुके हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की बिहार में विपक्षी राजद और कांग्रेस के महागठबंधन में जाने को लेकर समय समय पर चर्चाएं होती रही हैं जिसे अक्सर वे खारिज करते रहे हैं। अब नए समीकरण रूपी ‘खीर’ की चर्चा कर उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन के साथ जाने के साफ संकेत दे दियें हैं, जिससे बीजेपी को भारी झटका लगा है। दलित- पिछड़ी जातियों की इस तरह गोलबंदी से बिहार मे बीजेपी का पत्ता साफ होने की पूरी संभावना बन गयी है।