लखनऊ , उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह को सदन के अयोग्य ठहराने वाली याचिका खारिज कर दी गयी।
विधान परिषद अध्यक्ष रमेश यादव ने कांग्रेस की याचिका पर पिछली 22 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। श्री यादव ने दिनेश प्रताप की दलीलों को स्वीकार करते हुये कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका को चुनौती देते हुये दलील दी गयी थी कि याचिककर्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों में कोई सच्चाई नहीं है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के एमएलसी दीपक सिंह ने दलबदल कानून के तहत दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने की याचिका दी थी। विर्ष 2018 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में जाने वाले दिनेश प्रताप ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में रायबरेली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिय गांधी को टक्कर दी थी।
यहां दिलचस्प है कि पिछली 21 जुलाई को बसपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल होने वाले नसीमुद्दीन सिद्दकी की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी। दिनेश प्रताप का मामला श्री सिद्दिकी के जैेसा ही है।
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ वकील के सी कौशिक ने कहा “ विधान परिषद सदस्य अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर रहे है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लघंन कर रहे है।ऐसे फैसलों से साफ प्रतीत होता है कि सत्तारूढ दल संवैधानिक मानको का कैसे बेजा इस्तेमाल करता है। ”
उन्होने संकेत दिया कि विधान परिषद अध्यक्ष के फैसले को पार्टी उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकती है। कांग्रेस पहले ही दिनेश प्रताप की सदस्यता खारिज करने वाली याचिका पर लेटलतीफी के लिये उच्च न्यायालय में अपील कर चुकी है। दिनेश प्रताप का विधान परिषद में कार्यकाल सात मार्च 2022 को समाप्त होगा।