वंदे मातरम गीत से प्रेम और बंगाल से नफरत दोनों एक साथ नहीं चलेंगे : नीरज कुमार

इटावा, सर्वोदय जागरण मंच के अध्यक्ष नीरज कुमार ने भारतीय जनता पार्टी पर वंदे मातरम गीत और बंगाल को लेकर पार्टी के दोहरे चरित्र पर आधारित महत्वपूर्ण बयान दिया है उन्होंने बताया है कि “वंदे मातरम” गीत और बंगाल के बीच गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध है, क्योंकि यह मूल रूप से बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा एक बंगाली कविता के रूप में लिखा गया था और उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा था। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नारा बन गया था, जिसने बंगाल सहित पूरे देश में राष्ट्रवाद की भावना जगाई।
“वंदे मातरम” के प्रति प्रेम और बंगाल से कथित नफरत की भावनाएं दोनों एक साथ नहीं चल सकतीं, क्योंकि गीत की उत्पत्ति और सार अविभाज्य रूप से बंगाल की मिट्टी और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। सर्वोदय जागरण मंच के अध्यक्ष नीरज कुमार ने भाजपा की इस कथित दोहरी नीति की ओर इशारा करते हुए बताया कि भारतीय जनता पार्टी एक तरफ “वंदे मातरम” के गौरव का गुणगान करती है, लेकिन दूसरी ओर उस राज्य (पश्चिम बंगाल) की क्षेत्रीय अस्मिता या राजनीतिक नेतृत्व के प्रति प्रतिकूल रुख रखती है।
उन्होंने बताया कि बंगाल के संदर्भ में भाजपा की चुनावी रणनीति और राष्ट्रीय प्रतीकों के उपयोग के बीच कथित विरोधाभास को उजागर करता है:
” *वंदे मातरम” का उपयोग:* भाजपा अक्सर “वंदे मातरम” को राष्ट्रवाद और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में बढ़ावा देती है, और हाल ही में गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बंगाल सहित देश भर में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
भाजपा हमेशा से ही बंगाली संस्कृति को नहीं समझने और बंगाली भाषी लोगों के साथ भेदभाव करती रही है। इस प्रकार, भारतीय जनता पार्टी के इन दो कथित रुख के बीच के विरोधाभास को दर्शाता है, कि यदि कोई व्यक्ति/पार्टी वास्तव में “वंदे मातरम” का सम्मान करती है, तो वह उस भूमि और वहां के लोगों के प्रति नकारात्मकता नहीं रख सकती जहाँ से यह गीत निकला है।





