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लखनऊ का चिकन उद्योग लाकडाउन के कारण जबरदस्त आर्थिक संकट मे

लखनऊ , अपनी कुशल दस्तकारी की बदौलत दुनिया में अनूठी पहचान दर्ज कराने वाला लखनऊ का चिकन उद्योग कोरोना के कारण जारी लाकडाउन के चलते जबरदस्त आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

दुनिया मे लखनऊ का नाम रोशन करने वाला चिकन उद्योग पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। करीब तीन हजार करोड़ रूपये के सालाना कारोबार वाला उद्योग लाकडाऊन के कारण पिछले 50 दिन से बंद पड़ा है। मार्च से जून के बीच चिकन के कपड़ों की मांग जबरदस्त रहती है। इस दौरान ईद के पावन पर्व पर चिकन की बिक्री पूरे शवाब पर होती है। चिकन की कारीगरी अधिकतर महीन और पतले कपड़ों पर ही होती है।

लाकडाऊन के कारण इस सीजनल कारोबार को नुकसान पहुंचा है तो इसके कारोबार मे लगे हजारों वयापारियों और लाखों कारीगर का काम छीन लिया है। व्यापारियों का अरबों रूपया इससे फंसा है। पिछले 50 दिन से व्यापार बंद है और बना माल गोदामों मे बंद है। रमजान में चिकन के कुर्ते और टोपी की खूब बिक्री होती है। इसके अलावा इसका निर्यात भी खाड़ी के देशों समेत अन्य देशों में होता है।

बाजार से जुड़े सूत्रों के अनुसार चिकन का निर्यात करीब एक हजार करोड़ रूपये का है। लाकडाऊन के कारण निर्माण के साथ निर्यात भी बंद है।

चिकन कारोबारी रोहन टंडन कहते हैं कि असल समस्या तब होगी जब कारीगर तैयार माल लेकर आयेंगे । उनको भुगतान कैसे किया जायेगा । चूंकि चिकन की बिक्री नहीं हो रही है तो भुगतान मे भी दिक्कत होगी।

थोक व्यापारी गोपाल टंडन कहते है कि लखनऊ,सीतापुर,लखीमपुर खीरी ,बाराबंकी समेत अन्य जिलों के चार लाख से ज्यादा कारीगर बेरोजगार हो गए हैं। जिन्होने अपना तैयार माल व्यापारियों तक पहुंचा दिया है। वो लाकडाऊन के कारण भुगतान के लिये नहीं जा पा रहे हैं। व्यापारियों के साथ समस्या यह कि उसके पास भुगतान देने के पैसे नहीं हैं। यह इसलिए कि तैयार माल की बिक्री ही नहीं हुई है।

चिकन कारोबारी सरकार से राहत देने की मांग कर रहे हैं। गोपाल टंडन कहते हैं कि जीएसटी की अवधि बढाई जानी चाहिए और लाकडाऊन की अवधि मे बैंक लोन पर ब्याज नही लिया जाना चाहिए।