प्रयागराज, साधु संतों की जानी मानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरी के बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि साधु की कोई जाति नहीं होती और सन्यास लेने के बाद सभी बराबर होते हैं।
महंत गिरी ने रविवार को कहा ‘कन्हैया प्रभुनंद का यह कहना कि उन्हे पांच अगस्त को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पूजन में आमंत्रित नहीं किया गया जो दलित संत का अपमान है,मीडिया में बने रहने का हथकंडा मात्र है। साधु की कोई जाति नहीं होती। सन्यास लेने के बाद सभी बराबर हो जाते हैं। इस प्रकार की बातें करना उचित नहीं है। मीडिया में बने रहने के लिए उन्हें संतो को बांटने का अधिकार नहीं है।”
महंत ने कहा कि महमंडलेश्वर का यह बयान संत परंपरा के खिलाफ है। उन्होने कहा कि इस मामले में वह जूना अखाड़ा के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी से बात करेंगे। उन्होने कहा कि अगर कन्हैया गिरी ने अपना बयान वापस नहीं लिया तब उनके खिलाफ कार्रवाइ की जाएगी। जब कोई व्यक्ति किसी जाति का होता है, जब सन्यास धारण करता है, वैराग्य धारण करता है, उसी दिन उसकी जाति खत्म हो जाती है और नया नाम होता है। साधु की तो कोई जाति ही नहीं होती।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर बनने के लिए भूमि और शिला पूजन को लेकर दुनिया के सनातनधर्मियों में उत्साह स्वाभाविक है। यह उत्साह विभिन्न रूपों में सामने आ रहा है। इस अवसर पर सभी धर्मो-वर्गों के समूहों द्वारा जैसी सहिष्णुता, सद्भाव और समन्वय का प्रर्दशन हुआ, उससे भारत की बहुरंगी साझा संस्कृति एक बार फिर दुनिया को अचम्भित कर रही है।
महंत गिरी ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण से देश में सामाजिक सद्भाव का नया युग जन्म लेगा। त्रेतायुगीन अयोध्या की झलक देने वाली नयी नगरी की स्थापना के बीच देश में श्रीराम के जीवन से सद्भाव, चरित्र, धैर्य और लोकतंत्र के प्रति सम्मान जैसे सबक सीखने का भी माहौल बनाना चाहिए।