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पुलिस कार्रवाई का खतरा उठाकर भी ये हैं सड़क पर, प्रिय प्रधानमंत्री जी, हम भूखें हैं ?

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा  21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करने के बाद, पुलिस कार्रवाई का खतरा उठाकर भी बहुत से लोग  सड़क पर हैं. पुलिस ने लॉकडाउन सख्ती से लागू कर दिया है, जिसमें सिर्फ आवश्यक सेवाएं ही जारी हैं.

 इनमे ज्यादातर रोज कमाने और खाने वाले गरीब, दिहाड़ी मजदूर हैं. फैक्ट्री, कारखाने या दुकानें जहां ये काम करते थे वह बंद हो चुकें हैं. अब न इनके पास पैसा है और न अपने गांव घर लौट जानें का साधन क्योंकि रेल, बस आदि पहले ही सरकार द्वारा बंद कर दिये गयें हैं.

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 बेहद झकझोर देने वाले हालात ने इन मजदूर वर्ग को मजबूर कर दिया है कि वह सावधानी को छोड़कर, पुलिस कार्रवाई का खतरा उठाकर भी सड़क पर आ जाए. इनमें काफी लोग तो बीबी, बच्चों सहित भूखे प्यासे पैदल ही 500-1000 किलोमीटर की यात्रा पर  निकल पड़ें हैं.

जब इनसे पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मजदूरों से अपील की गई है है कि वे घर जाने की बजाय, जहां पर हैं वहीं रहें. तो  इन्होने बताया कि वे भी यहीं ठहरना चाहतें हैं , लेकिन लेकिन हमारे पास यहां रूकने के लिये न जगह है न खाने के लिये पैसा. अबतक जहां काम करते थे वहीं रूक जाते थे अब वहां भी नहीं रूकने दिया जा रहा है. ऐसे में हमारे पास घर जाने के अलावा क्या विकल्प है.

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उन्होने बताया कि  रेल, बस की सुविधा नहीं है. इसलिए हम कुछ एक ही गांव के रहने वाले हैं, जिन्होंने तय किया कि हम पैदल ही गांव चलेंगे. अब अगर पुलिस ने इन्हे न रोका तो हफ्ते भर मे ये शायद अपने घर पहुंच ही जायें.

निश्चित ही कोरोना वायरस के साथ-साथ, ये 21 दिन का लॉकडाउन इन गरीब लोगों के लिये बड़ी त्रासदी बन जायेगा. लगता है कि सरकार की कल्पना मे भारत मे मध्यम और उच्च वर्ग के लोग हैं. यह निम्न वर्ग कहीं है ही नही.

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