मायावती ने तीन तलाक के अध्यादेश केंद्र सरकार का पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कदम बताया है. मायावती ने आज कहा कि ये अध्यादेश लोगों का ध्यान हिंदू-मुस्लिम की तरफ भटकाने की कोशिश है. तीन तलाक के अध्यादेश पर मायावती ने कहा कि बीजेपी इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर भी स्वार्थ की राजनीति कर रही है. वह चुनाव के समय लोगों का ध्यान अपनी कमियों से हटाना चाहती है. अगर ऐसा नहीं होता तो इस संबंध में कानून बनाने से पहले इस पर विचार विमर्श के लिए इस विधेयक को संसदीय समिति में भेजने की मांग केंद्र सरकार ने जरूर मांग ली होती.
वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संवाद कार्यक्रम पर उन्होनें कहा कि यह राजनीति से प्रेरित था. ताकि चुनावों के समय बीेजेपी की केंद्र व राज्य सरकारों की घोर कमियों व विफलताओं के साथ ही गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.बसपा सुप्रीमों ने कहा कि जनाक्रोश से आरएसएस का चिंतित होना स्वाभाविक भी है क्योंकि धन्नासेठों की तरह इन्होंने भी बीजेपी की जीत के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया था. अब बीजेपी सरकार की कमियों व विफलताओं से जनाक्रोश का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं राम जन्मभूमि के मुद्दे पर आरएसएस प्रमुख मोहनभागवत के बयान कि जन्म भूमि पर मंदिर बने और अगर मुसलमान खुद बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठ रही उंगलियां झुक जाएंगी. मायावती ने कहा कि बीएसपी इस तर्क से कतई सहमत नहीं है. मायावती ने कहा कि एक नहीं बल्कि अनेकों मंदिर बना जाएं तब भी संकीर्ण हिंदू व मुसलमान के बीच रिश्ते सुधरने वाले नहीं हैं. कारण ये है कि इनकी बुनियादी सोच व मानसिकता दलित, मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक विरोधी है. उन्होंने कहा कि आरएसएस को सबसे पहले अपनी नफरत व साम्प्रदायिक सोच को बदलकर संविधान सम्मत मानवीय बनना व बनानपा होगा.